40+ Best Panchtantra short stories in Hindi with Moral । पंचतंत्र की कहानी
40+ Best Panchtantra short stories in Hindi with Moral । पंचतंत्र की कहानी
हिंदी में Panchtantra short stories in Hindi के इस अन्वेषण में, आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस अन्वेषण में, आपको छोटे बच्चों के लिए शिक्षाप्रद (Panchtantra short stories in Hindi with Moral) मिलेगा।
कहानी: प्यासा कौआ Panchtantra short stories in Hindi |
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परिस्थिति |
गर्मी का दिन था। एक कौवा बहुत प्यासा था। |
संघटन |
वह पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। |
परिभाषा |
एक बगीचे में पहुंचा वहां पर एक पात्र देखा जिसमें जल थोड़ा था। |
समाधान |
पानी तक उसकी सोच नहीं पहुंच पा रही थी, तो कौआ ने आसपास कुछ कंकड़ देखें। |
क्रियावली |
उसने एक एक करके कंकड़ घड़े में डाल दिए। |
परिणाम |
पानी का तल उपर आ गया, कौवे ने जी भर के पानी पिया और उड़ गया। |
शिक्षा |
इस कहानी से यह हमें शिक्षा मिलती है कि जहां चाह होती है वहां राह मिल जाती है। |
कहानी: लोभी लोमड़ी Panchtantra short stories in Hindi |
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परिस्थिति |
एक लोमड़ी थी जो बहुत भूखा थी। |
संघटन |
उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। |
परिभाषा |
वह एक नदी पर बने पुल से जा रहा थी। |
समाधान |
नदी के उस पार जाकर वह रोटी को खाएगी का इरादा रख रही थी, लेकिन उसकी नजर पानी पर पड़ी। |
क्रियावली |
पानी में उसकी परछाई दिखाई दे रही थी और उसने सोचा कोई दूसरी लोमड़ी रोटी लिए जा रही है। |
परिणाम |
लालच में उसने अपनी परछाई पर गुर्राना शुरू किया और रोटी भी पानी में गिर गई। बेचारी भूखी रह गई। |
शिक्षा |
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालच बुरी बला है। |
कहानी: गड़रिया का लड़का और भेड़िया Panchtantra short stories in Hindi with moral |
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परिस्थिति |
एक गड़रिया का लड़का अपनी भेड़ों के झुण्ड को चरा रहा था। |
संघटन |
उसने गाँववालों की खिल्ली उड़ाने की सोची। |
परिभाषा |
उसने जोर से चिल्लाया, “भेड़िया, भेड़िया”। |
समाधान |
गाँववाले उसकी आवाज सुन कर अपने हाथों में लाठी-डंडा लेकर उसकी सहायता के लिए दौड़े। |
क्रियावली |
गाँववाले भेड़िया नहीं पाए और अप्रसन्न होकर गाँव वापस आ गए। बाद में एक वास्तविक भेड़िया आया। |
परिणाम |
भेड़िया कई भेड़ों और लड़के को घायल करके भाग गया। लड़के को झूठ का परिणाम समझाया गया। |
शिक्षा |
झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता। |
कहानी: दो मित्र एवं भालू Panchtantra short stories in Hindi |
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परिस्थिति |
दो दोस्त थे। उन्होंने आपस में प्रतिज्ञा की कि वे एक दूसरे की मुसीबत में हमेशा सहायता करेंगे। |
संघटन |
वे दोनों घूमने के लिए बाहर गए और एक जंगल से जा रहे थे। |
परिभाषा |
उन्होंने सामने से एक भालू जानवर को आते देखा। एक तुरत एक पेड़ पर चढ़ गया। दूसरा पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। |
समाधान |
भालू उसके पास आया और उसे सूंघा। भालू ने समझा कि वह मर चूका है और चला गया। |
क्रियावली |
पेड़ पर चढ़ा उसका दोस्त नीचे उतरा और उससे पूछा कि भालू उसके कान में क्या बोल रहा था। |
परिणाम |
उसके मित्र ने जवाब दिया कि भालू ने उसके कान में यह कहा है कि झूठे मित्रों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। |
शिक्षा |
मित्र वही जो मुसीबत में काम आए। |
कहानी: खरगोश एवं कछुआ Panchtantra short stories in Hindi |
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परिस्थिति |
एक खरगोश को अपनी चाल पर बड़ा घमंड था। |
संघटन |
उसने एक कछुए को धीमी गति से चलते देखा और खरगोश ने मजाक उड़ाने लगा। |
परिभाषा |
चूहा नाराज हो गया और चुनौती दी। |
समाधान |
खरगोश ने सोचा कि कछुआ बहुत पीछे है और थोड़ी देर आराम कर लूँ। |
क्रियावली |
खरगोश एक पेड़ के नीचे सो गया और कछुआ ने उसे पार कर लिया। |
परिणाम |
खरगोश की नींद खुली, लेकिन वह जीत से महरूम रह गया। |
शिक्षा |
धीमे परन्तु नियमित काम करने वालों की विजय होती है। |
कहानी: शेर और चूहा short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
एक शेर जंगल में सो रहा था। |
संघटन |
उसके शरीर पर एक चूहा उछल कूद करने लगा। |
परिभाषा |
शेर को गुस्सा आया और चूहे को पकड़ लिया। |
समाधान |
चूहा ने दया की मिन्नतें की और इसे छोड़ दिया, प्रतिज्ञा की कि वह इसकी दयालुता का बदला चुकाएगा। |
क्रियावली |
शेर को जाल में फँसा देख चूहा ने उसकी मदद की और उसे छोड़ा। |
परिणाम |
शेर की जान बच गई और वह चूहे की बहुत आभारी था। |
शिक्षा |
अच्छा करोगे तो अच्छा पाओगे। |
कहानी: चतुर लोमड़ी और कौआ short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
एक भूखी लोमड़ी एक पेड़ पर कौआ देखती है, जिसके मुंह में पनीर का टुकड़ा है। |
संघटन |
लोमड़ी खुद को चापलूस बनाकर, कौआ को गाना गाने के लिए बुलाती है। |
परिभाषा |
कौआ पनीर के टुकड़े को गाना गाते हुए नीचे गिरा देता है, और लोमड़ी उसे चंपत होकर लेती है। |
समाधान |
चापलूसी से सावधान रहने की शिक्षा है। |
शिक्षा |
चापलूसी से सदा सावधान रहना चाहिए, और चापलूस कभी स्वाभिमानी नहीं हो सकता। |
कहानी: बिल्ली के गले में घंटी बाँधना short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
एक बिल्ली बहुत चूहों को परेशान कर रही है। चूहे उससे मुक्ति पाने के लिए बैठक बुलाते हैं। |
संघटन |
चूहा प्रस्ताव रखता है कि बिल्ली के गले में एक घंटी बाँधी जाए। |
परिभाषा |
सभी चूहे सहमत नहीं होते हैं, और एक बूढ़ा चूहा समस्या को हल करने का प्रस्ताव देता है। |
समाधान |
बूढ़े चूहे की युक्ति के साथ सभी चूहे बिल्ली के सामने दिखाई देते हैं, और बिल्ली डरकर भाग जाती है। |
शिक्षा |
कहना तो आसान है, किन्तु पूरा करना बड़ा कठिन है। |
कहानी: एकता में बल है Panchtantra short stories in hindi with moral |
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परिस्थिति |
एक किसान अपने बेटों को बुलाता है और उन्हें लकड़ियों का बंडल तोड़ने के लिए कहता है। |
संघटन |
बेटे मेहनत करने की कोशिश करते हैं, लेकिन बंडल तोड़ने में असफल रहते हैं। |
परिभाषा |
किसान बंडल को खोलकर एक सड़ा सेब रखता है और बेटों को इसे तोड़ने के लिए कहता है। |
समाधान |
सभी बेटे आसानी से अपने सेब को तोड़ देते हैं। |
शिक्षा |
एकता में बल होता है, मिलकर रहने से कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता। |
कहानी: कुसंग Panchtantra short stories in hindi with moral |
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परिस्थिति |
एक आदमी की संतान कुसंगति में पड़ती है और वह उसे समझाने की कोशिश करता है। |
संघटन |
बूढ़ा चूहा टोकरी में सड़ा सेब रखता है और उसे तोड़ने के लिए कहता है। |
परिभाषा |
लड़का देखकर हैरान होता है कि सभी सेब सड़ गए हैं, क्योंकि सड़ा सेब ने सभी को सड़ा दिया। |
समाधान |
लड़का अपनी बुरी संगति को छोड़कर एक सज्जन व्यक्ति बनता है। |
शिक्षा |
एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है, सो बुरी संगति को परित्याग करें। |
कहानी: लोमड़ी और अंगूर short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
भूखी लोमड़ी एक बगीचे में अंगूरों को देखती है और उन्हें खाना चाहती है। |
संघटन |
लोमड़ी बार-बार उछल कर अंगूरों तक पहुँचने का प्रयास करती है, लेकिन असफल रहती है। |
परिभाषा |
लोमड़ी थक जाती है और कहती है कि अंगूर खट्टे हैं। |
समाधान |
मनुष्य असफल होने पर बहाने नहीं बनाना चाहिए। |
शिक्षा |
असफलता के बाद बहाने बनाना नकारात्मक होता है। |
कहानी: टोपी विक्रेता और बंदर short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
टोपी विक्रेता गाँव से बाजार जा रहा है और जंगल में आराम करने के लिए पेड़ के नीचे लेट जाता है। |
संघटन |
बंदर टोपियों को उठा लेते हैं और अपने सिर पर रख लेते हैं। |
परिभाषा |
टोपी विक्रेता और बंदरों के सिर पर टोपी लगी होती हैं। |
समाधान |
टोपी विक्रेता ने टोपी नीचे फेंकी और बंदरों ने भी टोपियां नीचे फेंकीं। |
शिक्षा |
बुद्धि बल से श्रेष्ठ है, जैसा कि कहता है "बुद्धिर्यस्य बलं तस्य"। |
कहानी: सिंह और खरगोश Panchtantra short stories in hindi |
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परिस्थिति |
सिंह जंगल में रहता है और दिनभर जानवरों को मारता है। जानवरों का निर्णय होता है कि वे सिंह के पास जाकर भोजन लाएंगे। |
संघटन |
खरगोश सिंह के पास देर से पहुँचता है और सिंह को गुस्सा दिलाता है। |
परिभाषा |
सिंह खरगोश को कुएं में ले जाता है और गर्जकर अपनी प्रतिध्वनि को दूसरे सिंह समझकर कूदता है। |
समाधान |
सिंह कुएं में गिर जाता है और मर जाता है। |
शिक्षा |
क्रोध पाप का मूल है और यह इंसान की असली भूल है। |
कहानी: सारस एवं लोमड़ी Panchtantra short stories in hindi |
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परिस्थिति |
सारस और लोमड़ी में दोस्ती है और लोमड़ी ने सारस को अपने यहां खाने के लिए बुलाया है। |
संघटन |
लोमड़ी बड़ा भोजन खा लेती है, जबकि सारस अपने लम्बी चोंच की वजह से कुछ नहीं खा सकती। |
परिभाषा |
सारस ने भी लोमड़ी को बुलाकर उसे भोजन कराया, लेकिन लोमड़ी ने कुछ नहीं खाया। |
समाधान |
लोमड़ी को कुछ नहीं खाना आया, लेकिन सारस ने भरपूर भोजन किया। |
शिक्षा |
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वह स्वयं उसमें गिरता है। |
कहानी: जल के देवता एवं लकड़हारा Panchtantra short stories in hindi |
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परिस्थिति |
लकड़हारा की कुल्हाड़ी नदी में गिर जाती है और वह रोने लगता है। जल के देवता उस पर दया करते हैं। |
संघटन |
जल के देवता लकड़हारे के सामने प्रकट होते हैं और सोने की कुल्हाड़ी लेकर उसे देने का विचार करते हैं। |
परिभाषा |
लकड़हारे सोने की कुल्हाड़ी को इंकार करता है। |
समाधान |
जल के देवता चांदी की कुल्हाड़ी लेकर आते हैं और इस बार लकड़हारे इसे स्वीकार कर लेता है। |
शिक्षा |
सच्चाई की होती जीत सदा और झूठ सदा ही हारा है। |
कहानी: दर्जी तथा हाथी Panchtantra short stories in hindi with moral |
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परिस्थिति |
हाथी रास्ते में दर्जी की दुकान पर जाता है। दर्जी नाराज होकर हाथी को चुभता है। |
संघटन |
हाथी ने अपनी सूंड़ में गंदा पानी भरकर दुकान में फैला दिया। |
परिभाषा |
दर्जी की दुकान के सारे कपड़े गंदे हो जाते हैं। |
समाधान |
दर्जी पछताता है और अपनी बरी चुकाने के लिए दास को भूखे सिंह के सामने छोड़ने का आदेश देता है। |
शिक्षा |
शठे शाठ्यं समाचरेत् (जैसे को तैसा)। |
कहानी: राबर्ट ब्रूस एवं मकड़ा Panchtantra short stories in hindi with moral |
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परिस्थिति |
राजा राबर्ट ब्रूस का राज्य दुश्मनों के हाथ चला जाता है। राबर्ट गुफा में छिप जाता है जहां एक मकड़ा भी होता है। |
संघटन |
मकड़ा अपने जाल से बाहर निकलने के लिए प्रयत्नशील होता है। राबर्ट ब्रूस इसकी मेहनत को देखकर प्रेरित होता है। |
परिभाषा |
राबर्ट ब्रूस ने देखा कि ईमानदारी और मेहनत से सफलता मिलती है। |
समाधान |
राबर्ट ब्रूस ने अपनी सेना को इकट्ठा किया और दुश्मनों को हराया। |
शिक्षा |
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। |
कहानी: सिंह तथा दास Panchtantra short stories in hindi with moral |
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परिस्थिति |
एक निर्दयी व्यापारी के दास ने भागकर जंगल में गुफा में छिप जाया। सिंह उसे देखता है और दया करता है। |
संघटन |
सिंह और दास का साथ रहना शुरू होता है और दास ने सिंह की एक कांटा निकाली। |
परिभाषा |
दास ने सिंह की मदद की और सिंह ने उसे मुक्त किया। |
समाधान |
दास को भूखे सिंह के सामने छोड़ने के बाद, सिंह ने उसे छूने का पुरस्कार दिया। |
शिक्षा |
दया का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता। |
कहानी: मधुमक्खी और फाख्ता short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
एक मधुमक्खी और एक फ़ाखता एक पेड़ पर रहते थे, नदी के तट पर। एक दिन मधुमक्खी नदी के किनारे पानी पी रही थी, जब नदी ने उसे बहा दिया। फाखता ने पेड़ का एक पत्ता मधुमक्खी के सामने गिरा दिया। तब मधुमक्खी पत्ते पर चढ़ गई और जब उसके पंख सूख गए, वह उड़ गई। |
मोरल |
कर भला तो हो भला। |
कहानी: ऊँट और सियार short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
एक ऊंट और एक सियार आपस में मित्र थे, नदी के समीप। एक दिन सियार ऊँट की पीठ पर बैठ गया और वे नदी के उस पार पहुंचे। वहाँ खरबूजा, तरबूज और हरी-हरी ककड़ियाँ थीं। दोनों उन फलों को खाने में जुट गए और सियार ने जल्दी-जल्दी खाकर अपना पट भर लिया। इसके बाद वह ‘हुँआं’, ‘हुँआं’ चिल्लाने लगा। ऊँट ने उसे चुप कराने की कोशिश की, पर सियार ने नहीं माना और कहा कि पेट भर जाने के बाद चिल्लाने की आदत है। |
मोरल |
जैसा बोवोगे, वैसा काटोगे। |
कहानी: जिसकी लाठी, उसकी भैस short stories of panchtantra in hindi |
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परिस्थिति |
किसी गाँव में ब्रह्मदेव नामक ब्राह्मण था, बहुत ईमानदार। एक दिन वह भैंस खरीदने गया। एक अहीर ने उससे लाठी छीनी, पर ब्राह्मण ने अहीर को रुपये देने का कहा। अहीर ने खाली जेबों से ब्राह्मण को दिखाया। ब्राह्मण ने उससे लाठी का प्रहार करके उसे भैंस छोड़ने को कहा। |
मोरल |
जिसकी लाठी, उसकी भैस। |
कहानी: जैसे को तैसा short stories of panchatantra in hindi |
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परिस्थिति |
नरेंद्रगढ़ गाँव में रामपाल नामक ग्वाला था, जो बहुत बेईमान था। एक दिन उसने लोगों से लुटेरे रुपये बचाए और नदी में स्नान करते समय एक बन्दर ने उसके थैले से रुपये चुराए। ब्राह्मण ने बन्दर को सिखाया कि बुरे कार्यों का परिणाम बुरा होता है। |
मोरल |
भविष्य में ईमानदारी नहीं बरतोगे तो सब किया-कराया मिट्टी हो जाएगा। |
लोभ का फल (The Consequence of Greed) Panchtantra short stories in hindi
पुराने जमाने में दिल्ली के एक आदमी सहसरूप था। वह जमुना नदी में जाल डालकर मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार को पालता था। उसका परिवार सुखी और संतुष्ट रहता था। एक दिन, उसने जमुना नदी के किनारे जाल डाला, लेकिन इस बार उसका जाल में कोई मछली नहीं फंसी।
फिर उसने जाल फेंका, और इस बार उसका जाल में एक बड़ा कछुआ फंस गया। सहसरूप ने उस कछुए को बाजार में बेचने का इरादा किया। लेकिन कछुआ बोला, "दोस्त, मुझे तुझे बड़ा मूल्यवान मणि देने का वचन दे। इससे तुझे समृद्धि होगी, और तुझे कभी कमी नहीं होगी।" सहसरूप ने इस कछुए पर भरोसा किया और उसे जल में छोड़ दिया।
कछुआ ने पानी में गहरे स्थान पर जाकर एक लालमणि लाई और उसे सहसरूप को दिया। लालमणि की चमक ने सहसरूप को बहुत प्रभावित किया। उसके दिल में और भी लालमणियों के प्रति लालसा बढ़ गई। सहसरूप ने अपनी लालसा को देखकर कछुए से कहा, "तू मेरे लिए एक और लालमणि ले आ। मैं तुझे इसके बदले में और भी बड़ी मूल्यवान चीजें दूंगा।"
सहसरूप ने दूसरी लालमणि लेने के लिए कछुए को फिर से जल में छोड़ा। कछुआ ने दूसरी लालमणि को लेकर सहसरूप से कहा, "तू ने पहली लालमणि को खो दिया, इसलिए मैं तुझे दूसरी लालमणि नहीं दूंगा।" सहसरूप ने अपनी लालसा में और भी डूबकियाँ लगाईं, किंतु वह कछुए से मिलने में असफल रहा।
सहसरूप ने अपने लालसा के लिए अपनी धरती गई, क्योंकि उसने लोभ में अपनी बुद्धि खो दी थी। वह पश्चाताप करता रहा कि उसने लालमणियों के प्रति अपने लोभ की बजाय सत्य और ईमानदारी को नहीं माना।
मोरल: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लोभ करने से अक्सर हानि होती है, और विश्वास की महत्ता हमेशा बनी रहती है। जिंदगी में सत्य और ईमानदारी को महत्त्व देना हमें सफलता और सुख की दिशा में मदद कर सकता है।
दो खच्चर (The Two Mules) Panchtantra short stories in hindi
एक व्यापारी के पास दो खच्चर थे। वह उन्हें सामान लेकर गाँवों में बेचने के लिए पहाड़ों की ओर बढ़ाता था। एक दिन, एक खच्चर बीमार हो गया, लेकिन व्यापारी को इसका पता नहीं था।
व्यापारी ने सामान दोनों खच्चरों पर बराबर लदा और दूसरे गाँव की ओर रुट बनाई। रास्ते में, बीमार खच्चर को बहुत कष्ट हो रहा था। उसने दूसरे खच्चर से कहा, "मित्र, मेरी तबियत ठीक नहीं है और मैं बहुत थका हुआ महसूस कर रहा हूँ। मैं तुझे एक बात सुझाता हूँ, अगर तू मेरे पीठ पर एक बोरा रखेगा, तो मेरा भार कम हो जाएगा और हम आसानी से चल सकेंगे।"
दूसरा खच्चर ने कहा, "मैं तेरा भार ढोने के लिए तैयार नहीं हूँ, मेरी पीठ पर तो कोई कम भार नहीं है। तू अपने हिस्से का भार खुद ढो ले।"
बीमार खच्चर दुखी होकर चुपचाप चला गया। चलते-चलते, वह एक पत्थर से टकरा गया और गिर पड़ा। व्यापारी ने देखा और सोचा कि एक खच्चर मर गया है, इसलिए उसके सामान को दूसरे खच्चर पर लदा दिया।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि साथी की मदद करना हमारे लिए भी लाभकारी हो सकता है और दूसरों के साथ हमेशा उदार और सहानुभूति बना रखना चाहिए।
गुरु और शिष्य (Guru and Shishya) short stories of panchtantra in hindi
एक गहरे जंगल में एक तपस्वी अपनी तपस्या में मग्न थे। ये सिद्ध पुरुष इतने शक्तिशाली थे कि उनके आश्रम की आवश्यकता नहीं थी, वे खुले वन में एक वट वृक्ष के नीचे आसन लगाए रहते थे। उनकी तपस्या की तेजी से हिंसक पशु-पक्षी भी उन पर हमला नहीं करते थे। जंगल में कुछ दूर एक जंगली कबीला रहता था, जिसने अपनी सुरक्षित बस्ती बनाई थी।
इस हिंसक कबीले में बुद्धिमान युवक थे जो इन सिद्ध पुरुषों को अपने गुरु मानते थे। प्रात: के समय, गुरुजी अपने शिष्यों को शिक्षा देते और दोपहर में ये शिष्य अपनी बस्ती में लौट जाते। एक शिष्य ऐसा था जो सभी समय गुरुजी की सेवा में लगा रहता था। दिन या रात, तपस्वी गुरु उसे बहुत प्रिय थे। उसने तपस्या करते हुए अपने शरीर को बहुत कमजोर कर लिया था, ताकि वह भी परम ज्ञान प्राप्त कर सके।
एक दिन दोपहर में, गुरु और उसके शिष्य जंगल में अपने नियत स्थान पर बैठे हुए तपस्या कर रहे थे, और एक शिष्य उनके चरणों में बैठा हुआ था। अचानक, शिष्य ने देखा कि एक चीता उनके पास आ रहा था, उसे खाने की खोज में। शिष्य गुरुजी से बोला, "गुरुजी, मुझे बचाइए, इस चीते से खा जायेगा।" गुरुजी ने अपना हाथ शिष्य के सिर पर रख दिया और एक तेज रोशनी के साथ ही उसे एक बहुत बड़े चीते में बदल दिया।
आने वाला चीता, जो पहले कंद-मल फल खाकर जीवन यापन करता था, अब वन्य पशुओं को मारकर खाने लगा। एक दिन, इसी तरह, गुरु और शिष्य जंगल में बैठे थे कि एक भयंकर हाथी उनकी ओर आ रहा था। गुरुजी ने अपने शिष्य को हाथी में बदल दिया और उसके चरणों में बैठा दिया। आने वाला हाथी देखकर भगवान की पूजा करने वाले गुरुजी को छोड़कर चला गया।
इस घटना के बाद, गुरुजी ने शिष्य को सिखाया कि शक्ति सही तरीके से उपयोग की जानी चाहिए, और अपनी पहचान और स्वभाव को बनाए रखना चाहिए। इस प्रकार, गुरुजी के शाप से शिष्य ने कुत्ता बनने का पथ चुना और अपना जीवन गुरु की सेवा में बिताया।
कहानी का नाम | तीन चोर short stories of panchtantra in hindi |
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संक्षेप | रमन, घीसा, और राका, तीन चोर जंगल में रहते थे और विद्या के घमण्ड में थे। एक दिन उन्हें पुलिस के पीछे भागना पड़ा और वे एक चीता, हाथी और एक भयानक शेर में बदल गए। इससे उन्हें अपने घमण्ड का परिणाम भुगतना पड़ा। |
प्रमुख सिख | घमण्ड का परिणाम हमेशा हानिकारक हो सकता है, और विद्या को सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। |
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि घमण्ड और अहंकार कभी भी हानिकारक हो सकते हैं, और हमें अपनी विद्या और कला का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।
कहानी का नाम | चतुर नाई short stories of panchtantra in hindi |
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संक्षेप | रायगढ़ राज्य के राजा चक्रधर सिंह के राज्य में हजामत बनवाने वाले नाईयों के बीच एक चतुर नाई आया। उसने राजा को पीछे के बाल काटने की बहुत चतुराई से आगाह किया और खुद को सजा और ईनाम के साथ बचाया। |
प्रमुख सिख | चतुरता और विवेकपूर्ण निर्णय अक्सर आपको अच्छे परिणाम प्रदान कर सकते हैं। |
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी आपकी चतुरता और विवेकपूर्ण निर्णय आपको समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं, और इससे आप अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
सबसे अमीर कौन ? (पंचतंत्र की हिंदी कहानियाँ)
सूर्यसेन राजा का न्यायप्रिय राज
सूरज नगर में सूर्यसेन नामक राजा राज्य करते थे। वह न्यायप्रिय और साधु संतों का सम्मान करने वाले राजा थे। एक बार, राजा के दरबार में एक वृद्ध सन्यासी पहुंचे जो एक बड़े लोहे के बक्से में धन लेकर आए थे।
राजा का आश्चर्य
राजा ने सन्यासी का स्वागत किया और उन्हें आसन पर बिठाया। सन्यासी ने धन की कहानी सुनाई, जिसमें एक समृद्धि भरा व्यापार था लेकिन कंजूसी ने उसे कई साल पहले हरा दिया।
योग्य व्यक्ति की खोज
राजा ने पूछा, "तुम्हारे पास यह धन कहाँ से आया?" सन्यासी ने कहा, "राजन, इसकी एक लम्बी कहानी है, लेकिन सच यह है कि इस धन को मैं किसी योग्य व्यक्ति को देना चाहता हूँ।"
राजा का निर्णय
राजा ने घोषणा की कि सबसे अमीर व्यक्ति को धन मिलेगा। राजा ने एक मैदान में प्रदर्शन का आयोजन किया जहां सभी अमीर अपनी दौलत को दिखा रहे थे।
गरीब की आनबन
सभी अमीर तम्बू में अपनी दौलत दिखा रहे थे, लेकिन सन्यासी के साथ प्रत्येक तम्बू में कुछ नहीं था। गरीबों की दर्शक टोली ने इस दृश्य का आनंद लिया।
युवक की भिखारी से मिली दान
एक भिखारी गरीब को नजर आया और उसने तम्बू के सामने जाकर पैसे मांगना शुरू किया। अमीरों ने उसे कुछ नहीं दिया, लेकिन एक युवक ने उसे सहारा दिया और उसे धन दिया।
सबसे अमीर की पहचान
अमीर युवक की यह क्रिया सभी को चौंका दी। सन्यासी ने युवक को धन देने का निर्णय किया और उसके साथ एक धर्मशाला बनवाई जहां गरीबों की सेवा की जाती है।
सन्यासी की सीख
सन्यासी ने कहा, "धन खर्च करने से घटता है, लेकिन इंसानियत की सेवा करने से बढ़ता है।" इस घटना ने सभी को यह सिखाया कि अमीरी उसी में है जो दूसरों की मदद करता है।
हाजिर जवाब – पंचतंत्र की लघु कहानियां
चतुर टुनटुन झा और लालची जमींदार
भरत ने कहा, "मेरी कहानी का शीर्षक है 'हाजिर जवाब'।"
एक समय की बात है, टुनटुन झा नामक व्यक्ति ने लालची जमींदार कल्लू सिंह को अपनी मुसीबत से बाहर निकालने में मदद की। जमींदार ने खुश होकर पाँच वीघा जमीन का वादा किया, जिसे टुनटुन झा ने रजिस्ट्री करने के लिए कहा।
लेकिन जब टुनटुन झा जमीन की माँग करता, तो कल्लू सिंह उसे टालता रहता। टुनटुन झा ने सोचा कि अब कुछ करना होगा। उसने एक चुनौती दी - "लोग अंधे, बहरे, लंगड़े क्यों होते हैं? इस प्रश्न का सही जवाब कल सुबह मेरी मजलीश में बताओ, तो जमींदारी जमीन तुम्हारी होगी।"
टुनटुन झा ने सच्चे उत्तर के लिए रातभर चिंता की, और सुबह होते ही जमींदारी मजलीश में पहुँचा। कल्लू सिंह ने पुनः पूछा, "टुनटुन झा, देर न करके जल्दी से जवाब दो।"
हाथ जोड़ते हुए टुनटुन झा ने कहा, "जमींदार साहब, पूर्वजन्म में जो लोग अपने वचन का पालन नहीं करते, वे ही अंधे, बहरे, लंगड़े होते हैं।"
टुनटुन झा के उत्तर ने जमींदार को प्रसन्न किया, और वह उसे पाँच बीघा जमीन देने का वादा करता है। और तब से जमींदार ने जमीन की रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया शुरू की।
नींबू चोर - पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानी
टुनटुन झा की दिलचस्प परेशानी
राजेश ने कहा, "मेरी कहानी का शीर्षक है 'नींबू चोर'।"
एक दिन टुनटुन झा की पत्नी ने कहा, "हर पर्व में सबके घर दामाद आते हैं, हमारे घर में नहीं। पाँच वर्ष से बेटी और दामाद के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। क्यों नहीं जाकर उन्हें लाओ?"
टुनटुन झा ने खीझकर कहा, "धुर्र पगली! दामाद-बेटी को लाना साधारित बात है, तुम खर्च का क्या पता? अगर तुम जानती होती, तो तुम भी यही कहती।"
पर टुनटुन झा की पत्नी ने जिद लगा दी, "मैं कुछ नहीं सुनूंगी, बेटी-दामाद को लाना ही होगा।"
टुनटुन झा ने सोचा, "इस बार इसका कोई विकल्प नहीं है, लाना होगा।" और बोला, "अच्छा, जाता हूँ लाने।"
रास्ते में सोचता हुआ उसे एक तीर में दो निशान लगाने का उपाय आया - ताकि पत्नी महारानी और बेटी-दामाद की जिद न बढ़े। दामाद के घर पहुंचा, जहां उसे आतिथ्य की बहार मिली। पुआ पकवान छना, बेटी-दामाद का सत्कार किया गया।
लेकिन टुनटुन झा को सब कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। दामाद के सत्कार की बजाय उसे खर्च की चिंता थी। जब बेटी-दामाद का भोजन समाप्त हुआ, तो वह बोला, "यह सब अच्छा तो है, पर तुमने खर्च कितना किया है?"
अपनी मांग की जा रही दी गई जवाब में पत्नी ने कहा, "नींबू चोरों की संख्या बढ़ गई है। तुम एक तीर में बैठकर नींबू चोर पकड़ाओ, तब ही खर्च हो गया।"
टुनटुन झा ने दूसरी लालटेन लेकर आया और बोला, "छी... छी... छी... दामाद होकर भी तुमने ऐसा कैसे किया? और फिर अपनी पत्नी की बेइज्जती की?"
इस पर पत्नी ने कहा, "इसलिए कहती थी बेटी-दामाद को लाओ, कैसा मजा आया।"
जब बेटी ने यह देखा कि उसकी माँ को ऐसे पकड़ा गया है, तो उसके मन में शक-संदेह हुआ। टुनटुन झा की बेटी ने सोचा और फिर दामाद ने बीच में ही भाग लिया।
सुबह के समय दामाद ने घर छोड़ दिया, छोड़ते ही उसकी पत्नी की जिद टूट गई। इस घटना ने साबित किया कि हर किसी का तरीका अलग होता है और अकसर छोटे ख्यालों में छुपा बड़ा सबक छिपा होता है।
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