Hindi Kahani Lekhan for Class 9 – लघु कथा लेखन गाइड
कहानी लेखन (Hindi Kahani Lekhan for Class 9) हर छात्र के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल है, खासकर कक्षा 9 में। अगर आप सोच रहे हैं कि यह क्या है और कैसे इसे लिखना है, तो चिंता मत करें! इस लेख में हम आपको आसान और मजेदार तरीके से समझाएंगे कि कैसे आप एक बेहतरीन लघु कथा लिख सकते हैं।hindi-kahani-lekhan-for-class-9
कहानी लेखन का प्रारूप (Format of Hindi Kahani Lekhan for Class 9)
लघु कथा लेखन में तीन मुख्य हिस्से होते हैं:
- परिचय (Introduction): यहाँ आप कहानी के पात्रों और स्थान का परिचय देते हैं। थोड़ी सी जानकारी और थोड़ा सा सस्पेंस डालना न भूलें। कुछ ऐसा, "किसी छोटे से गाँव में एक राजा था, जिसे अपने महल से बाहर निकलने का डर था…"
- मुख्य घटनाएँ (Main Events): कहानी के मुख्य घटनाओं का विवरण होता है। ये घटनाएँ धीरे-धीरे कहानी के एक मोड़ पर पहुंचती हैं। जैसे, राजा किसी समस्या का सामना करता है, या फिर किसी जादुई घटनाएँ घटित होती हैं।
- निष्कर्ष (Conclusion): यह वो जगह है जहां आपकी कहानी का समाधान या संदेश होता है। आमतौर पर, यह किसी शिक्षा या ज्ञान के साथ समाप्त होती है।
तो, अब सवाल उठता है कि आपको क्या लिखना चाहिए? कोई भी कला हो, शुरुआत से अंत तक एक दिलचस्प ट्विस्ट होना चाहिए। क्या आपने कभी सोचा है कि क्या होता अगर मक्खी और लोमड़ी एक साथ मिलकर काम करतीं? यही है कहानी लेखन की कला—अजीब और मजेदार विचारों को जोड़ना।
नई शिक्षा पद्धति के अनुसार कहानी लेखन
अब, जैसा कि नई शिक्षा पद्धति ने कहानी लेखन के प्रारूप में बदलाव किए हैं, तो आइए जानते हैं कि किस तरह से आपको कहानी लिखने के लिए विभिन्न प्रकार के मुद्दे दिए जा सकते हैं।
- लघु कथा से सम्बंधित अधिक-से-अधिक मुद्दे: यहाँ पर आपको कहानी लिखने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण दिए जाते हैं, जैसे कि “सच्चे दोस्त” या “मेहनत का फल।”
- कहानी से सम्बंधित कुछ मुख्य मुद्दे: जैसे “ईमानदारी का महत्व,” “लालच के नुकसान,” इत्यादि।
- कहानी की शुरुआत की कुछ पंक्तियाँ दे कर: उदाहरण के लिए, “एक बार एक छोटा सा लड़का था, जो हमेशा अपनी किताबों को भूल जाता था। एक दिन उसकी ज़िंदगी में एक बदलाव आया।”
- कहानी की अंतिम पंक्तियाँ दे कर: जैसे, “और फिर सभी ने समझा कि, ‘सच्ची मित्रता दुनिया की सबसे कीमती चीज़ है!’”
इन चार तरीकों में से आपको एक तरीका चुनना होता है। और हां, जब भी कहानी लिखें, ध्यान रखें कि आपका टॉपिक या मोरल हमेशा साफ-सुथरा हो! कहानी में एक मजेदार मोड़ डालें, जैसे “राजा को अपनी पशु प्रेमिका से सच्चा प्यार हो गया था!”
कहानी लेखन के लिए कुछ मजेदार और आसान उदाहरण
अब आते हैं उन मजेदार उदाहरणों पर, जिनसे आपको कहानी लेखन की कला सीखने में मदद मिलेगी। तो सोचिए, क्या होता अगर:
- मक्खी ने भगवान से इच्छा की कि उसे इंसान बना दिया जाए?
- एक बंदर अपनी चॉकलेटी चुराई हुई चूड़ियाँ खो बैठा और अब उसे अपने हाथी दोस्त से मदद चाहिए!
इन्हें अपने लघु कथा लेखन में शामिल करने की कोशिश करें। जैसे ही आप इन विचारों को समझेंगे, कहानी लेखन की प्रक्रिया मजेदार और मजेदार हो जाएगी।
Hindi Kahani Lekhan for Class 9 में कुछ टिप्स
- सादा और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें। क्यों? क्योंकि बहुत सारी बड़ी और गंभीर शब्दावली से कहानी का मजा चला जाता है।
- कहानी के पात्रों को जीवंत बनाएं। हर पात्र का स्वभाव और व्यक्तित्व होना चाहिए, ताकि पाठक उससे जुड़ सके।
- मोरल या सीख को हमेशा कहानी के अंत में डालें। आप न चाहें, तो भी कहानी का ध्यान रखना जरूरी है!
- थोड़ा हास्य डालें। अगर कहानी को पढ़ते वक्त हंसी न आए, तो वो अच्छी कहानी नहीं हो सकती!
Note:
कहानी लेखन के माध्यम से आप अपनी रचनात्मकता और कला को निखार सकते हैं। बस यह याद रखें कि सादा और सीधा लिखें, लेकिन थोड़ा मजेदार ट्विस्ट डालना न भूलें। तो अगली बार जब आपको कहानी लिखने का मौका मिले, तो सोचें बंदर के चूड़ियों के बारे में या फिर किसी मक्खी के जादू के बारे में। कोई नहीं जानता, आपकी कहानी का अगला क्लाइमैक्स क्या हो सकता है!
लघु कथा लेखन कक्षा 9 (Laghu Katha Lekhan Class 9 in Hindi)
कहानी तो सुनी-सुनाई जाती है… पर लिखी भी जाती है, जनाब! और लिखना भी कुछ कम मजेदार नहीं होता। खासकर जब आप कक्षा 9 में हों और अध्यापक कहानी लेखन का सवाल दे दें तो समझिए, आपकी कल्पना घोड़े पर चढ़ जाती है!
कहानी-लेखन की परिभाषा – Story Writing in Hindi
“जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहते हैं।”
यानि वो घटना, जो दिल को छू जाए या फिर हंसी छूट जाए – वही कहानी है। दादी-नानी की कहानियाँ हो, या वो पुरानी कहानियाँ जिनमें शेर भी बात करता था और चालाक लोमड़ी सबको उल्लू बना देती थी — इन सबकी जड़ में एक ही बात होती है — मनोरंजन और शिक्षा।
क्यों जरूरी है कहानी लेखन सीखना?
- क्योंकि कल्पना करना बोरिंग नहीं, कमाल है।
- आपकी सोच को उड़ान मिलती है, जैसे परी उड़ती है।
- आपको दूसरों को कुछ सिखाने का तरीका आता है।
और अगर आप ये सब सोचकर डर गए कि “ये तो मेरे बस की बात नहीं” — तो ज़रा रुकिए, कहानी लेखन कोई रोकेट साइंस नहीं है। बस ध्यान चाहिए कुछ जरूरी बातों पर। चलिए, मजे से सीखते हैं!
लघु कथा लेखन के प्रकार – Types of Hindi Kahani Lekhan for Class 9
कहानी का प्रकार |
विवरण |
लंबी कहानी |
उपन्यास जैसी, जिसमें बहुत सारी घटनाएँ होती हैं। |
लघु कथा (Short Story) |
चुटकी में असर कर जाए, छोटी पर सटीक। जैसे चाय की एक चुस्की में ज़िंदगी का स्वाद! |
कहानी लेखन में ध्यान देने योग्य बातें
- रूपरेखा के आधार पर चलिए:
मतलब जो संकेत मिले हैं, उन्हीं पर कहानी बनाइए। अपनी कल्पना को ज़रूर उड़ाइए, लेकिन उड़ते-उड़ते सवाल से बाहर मत निकलिए। - हर घटना का संतुलन:
जैसे थाली में सब्ज़ी, दाल, चावल बराबर हों — वैसे ही कहानी में हर प्रसंग को बराबर जगह दें। न ज़्यादा मसाला, न फीका। - आकर्षक आरंभ:
अगर कहानी की शुरुआत “एक समय की बात है…” से करें, तो पाठक वहीं सो सकता है। कुछ नया सोचिए, जैसे — "मुन्ना रोज़ स्कूल लेट क्यों आता था, इसका राज़ तो मुर्गा ही जानता था!" - भाषा सरल और असरदार:
भारी-भरकम शब्दों से दूर रहिए। कहानी को ऐसा बनाइए कि नानी भी पढ़ें और नातिन भी! - शीर्षक आकर्षक हो:
“एक कुत्ते की कहानी” से बेहतर है — "बॉबी – कॉलोनी का सुपरहीरो!" - मुहावरे और लोकोक्तियाँ:
इनसे कहानी में मज़ा दोगुना हो जाता है। जैसे — “नाच न जाने आँगन टेढ़ा।” - भूतकाल में लिखें:
मतलब ‘था’, ‘गया’, ‘किया’ वगैरह का इस्तेमाल करें — कहानी वर्तमान में नहीं घूमा करती। - सहज अंत हो:
जब कहानी खत्म हो तो पाठक को लगे कि "हाँ, यही तो होना था।" - सीख हो — सीधी और सटीक:
“ईमानदारी हमेशा जीतती है।”, “लोभ बुरी बला है।” — जैसी साफ सीख ज़रूरी है।
एक झलक – उदाहरण स्वरूप कहानी
शीर्षक: घड़ी और गधे की दोस्ती
रमेश को एक नई घड़ी मिली थी। बहुत खुश था। लेकिन वह इतना घमंडी हो गया कि स्कूल में सबको ताने मारने लगा — “देखो मेरी घड़ी, ब्रांडेड है।”
एक दिन उसकी घड़ी गुम हो गई। वो रोता-धोता स्कूल पहुँचा। उसी दिन स्कूल में नाटक का ऑडिशन था — गधे का किरदार था। सब हँसने लगे, लेकिन रमेश बोला, “मैं निभाऊँगा ये रोल।”
उसने इतनी ज़बरदस्त एक्टिंग की कि सब दंग रह गए। पुरस्कृत भी हुआ।
सीख: घड़ी खो सकती है, पर अच्छाई हमेशा साथ निभाती है।
कहानी लेखन की प्रमुख विशेषताएँ – Key Features of Laghu katha lekhan Class 10
(Class 9 के विद्यार्थियों के लिए एक दिलचस्प नजरिया)
कहानी – ये सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि वो आइना है जिसमें हम इंसानों की ज़िंदगी, भावनाएँ और संघर्ष साफ़ नज़र आते हैं। पहले कहानियों में राजा-रानी, देव-दानव और उड़ने वाले काल्पनिक जीव हुआ करते थे। लेकिन अब कहानी में असली हीरो – आम इंसान होता है, जो चप्पल घिस-घिसकर अपने सपनों के पीछे भागता है।
चलिए, समझते हैं कि आधुनिक कहानी लेखन की खास बातें क्या हैं — और हाँ, रटने की ज़रूरत नहीं, बस ध्यान से पढ़िए, मज़ा भी आएगा और याद भी रहेगा।
- आज की कहानी – इंसान के इर्द-गिर्द घूमती है
पहले देव, दानव और जानवर कहानी में खूब आते थे, जैसे “शेर और चूहा” या “सिंड्रेला”।
अब कहानी का असली हीरो है इंसान, उसकी ज़िंदगी, उसकी समस्याएँ और उसकी भावनाएँ।
हाँ, बच्चों की कहानियों में अभी भी खरगोश दौड़ रहा है और कछुआ जीत रहा है!
- शिक्षा और मनोरंजन से आगे – कौतूहल जगाना जरूरी है
पहले कहानियों का मकसद होता था “कुछ सिखाना” और “मन बहलाना”।
अब कहानी से उम्मीद होती है कि वह कुछ नया बताए, चौंकाए, सोचने पर मजबूर करे।
पर सच बताऊँ? आज भी अगर कहानी में थोड़ा मज़ा न हो, तो पाठक बोलेगा — “भाई, टाइम खराब कर दिया!”
- कहानी का आधार – इंसान का संघर्ष
पहले किस्मत को दोष देते थे – “अरे! भाग्य में नहीं था…”
आज की कहानी कहती है – "तू खुद अपनी किस्मत लिख!"
इसलिए अब कहानियाँ जीवन के संघर्षों की गाथा होती हैं — चाहे वो परीक्षा में फेल होने का हो या फिर मम्मी से मोबाइल छीन लेने का!
- कहानी में अब ‘कैरेक्टर’ ज़रूरी हैं
हर कहानी में कोई न कोई ऐसा किरदार ज़रूर होता है, जो दिल को छू जाए।
कोई भोला बच्चा, कोई मेहनती माँ, कोई ईमानदार रिक्शावाला —
“चरित्र चित्रण” अब कहानी की जान बन गया है।
- घटना नहीं, अनुभूति है असली चीज़
पहले कहानियाँ “क्या हुआ?” बताती थीं, अब “कैसा लगा?” ये बताती हैं।
अब कहानी में भावनाएँ, विचार, अनुभव ज़्यादा होते हैं, जैसे –
"जब उसकी साइकिल चोरी हो गई, तो वो खुद को दुनिया का सबसे अकेला इंसान समझने लगा।"
बड़े लेखक प्रेमचंद जी ने भी कहा था —
“कहानी का आधार अब घटना नहीं, अनुभूति है।”
- समष्टिवादी से व्यक्तिवादी
पुरानी कहानियाँ “सभी के लिए” लिखी जाती थीं – जैसे सर्वहिताय, सर्वसुखाय।
आज की कहानियाँ किसी एक व्यक्ति की मनोदशा, भावनाएँ, और अंदर की सच्चाई बयान करती हैं।
अब कहानी कहती है – "हर किसी की कहानी अलग होती है!"
- भाषा होनी चाहिए सरल – जैसी घर में बोलते हैं!
आजकल के पाठक “संस्कृतनिष्ठ, भारी-भरकम, अलंकारयुक्त भाषा” सुनते ही नींद में चले जाते हैं!
इसलिए कहानी की भाषा अब सरल, सहज और थोड़ी हटके होती है।
जैसे – "उसने देखा कि उसका टिफिन गायब है... और तभी उसके दिल में एक अजीब सा तूफान आ गया!"
- सुखांत नहीं, सच्चा अंत
पहले कहानियाँ “और वे हमेशा के लिए खुशी-खुशी रहने लगे” पर खत्म होती थीं।
अब कहानी कहती है —
“जिंदगी इतनी सीधी नहीं होती, दोस्त!”
आज की कहानी अंत में कोई सच्चाई बताती है, चाहे वो कड़वी ही क्यों न हो।
लघु कथा लेखन की विधियाँ – (Story writing in Hindi Format (Class 9)
कहानी लिखना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन हाँ… थोड़ी कल्पना, थोड़ी संवेदना और थोड़ी मेहनत ज़रूरी है।
आज के छात्र न सिर्फ कहानियाँ पढ़ते हैं बल्कि खुद लेखक बनने का सपना भी देखते हैं। और क्यों न देखें?
कहानी लिखना मतलब खुद की कल्पना की दुनिया में एक ट्रिप पर जाना होता है – बिल्कुल मुफ्त!
अब सवाल उठता है — कहानी कैसे लिखें?
तो जनाब, इसके चार प्रमुख तरीक़े (विधियाँ) हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी कहानी लेखन में माहिर बन सकते हैं।
तो कमर कसिए और चलिए कहानी की चार सीढ़ियाँ चढ़ते हैं —
(1) कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना
इस विधि में पहले से दी गई मूल कहानी होती है।
आपका काम है — ध्यान से पढ़ना, समझना, और अपनी भाषा में दोबारा लिखना।
मतलब, ओरिजिनल कहानी से चीटिंग नहीं, inspiration लेना है।
जैसे नकल नहीं, अकल से काम लेना।
इस विधि में ध्यान देने योग्य बातें:
- कहानी की शुरुआत ऐसी होनी चाहिए कि पाठक कहे — “वाह! क्या बात है!”
- संवाद छोटे-छोटे हों, जैसे दो बच्चों की बहस।
- कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़े, कोई जल्दी नहीं।
- अंत ऐसा हो कि पाठक बोले — “अरे! यही तो होना था।”
- मूल कहानी का शीर्षक ही रखें।
- भाषा सरल हो — जैसे चाय के साथ बिस्कुट।
(2) रूपरेखा (संकेतों) के सहारे कहानी लिखना
इसमें आपको मिलते हैं कुछ संकेत या हिंट्स, और आपको उनसे पूरी कहानी बनानी होती है।
थोड़ा दिमाग लगाना पड़ता है, लेकिन मज़ा भी वहीं है!
संकेत क्या करते हैं?
ये कहानी का ढांचा बना देते हैं — अब आप उसमें अपने शब्दों से रंग भरते हैं।
उदाहरण:
संकेत:
किसान के चार बेटे — आपस में झगड़ते थे — किसान बीमार — लकड़ियों का गट्ठर — सब फेल — एक-एक लकड़ी — सब सफल — शिक्षा
बनी कहानी:
“एकता में बल” — वही पुरानी लेकिन आज भी काम की कहानी!
एक किसान के चार बेटे हमेशा झगड़ते थे… फिर आया लकड़ी वाला प्रयोग और सब समझ गए — “हम एक हैं, तभी मज़बूत हैं।”
नोट:
यह तरीका थोड़ा कठिन है, क्योंकि इसमें आपको कहानी खुद बनानी होती है।
लेकिन यही तरीका कल्पना की असली परीक्षा है।
(3) अधूरी या अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना
यहाँ कहानी अधूरी दी जाती है — ठीक वैसा जैसे कोई फिल्म आधे में बंद हो जाए!
आपका काम है — बाकी की कहानी को अपने दिमाग से पूरा करना।
अब अगर आप थोड़े फिल्मी टाइप हैं तो ये विधि आपके लिए है।
उदाहरण:
कौआ रोटी का टुकड़ा लेकर बैठा था, लोमड़ी ने उसकी तारीफ की... जैसे ही कौए ने गाना शुरू किया, रोटी गिर गई और लोमड़ी मज़े से खा गई।
अब आगे क्या हो?
कल्पना कीजिए:
अगर कौआ फिर से आया और चतुर बन गया — उसने इस बार मुंह बंद रखा और लोमड़ी को भूखा छोड़ दिया।
या फिर… कौए ने बदला लिया?
आप पर निर्भर है — आप क्या लिखते हैं!
(4) चित्रों की सहायता से कहानी लेखन
कहते हैं, एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है।
तो इस विधि में एक चित्र दिया जाता है और आपको उस पर कहानी बनानी होती है।
चित्र आपकी कल्पना को उड़ान देते हैं — और दिमाग सोचने लगता है, “इसमें क्या चल रहा होगा?”
उदाहरण:
चित्र: सेठ पलंग पर सोया हुआ, पास में पंखा झलता बंदर, एक मक्खी परेशान कर रही है, और बंदर पत्थर से मार रहा है!
बनी कहानी: “मूर्ख बंदर” —
बंदर सोचता है कि मक्खी भगानी है, लेकिन सेठ की नाक ही तोड़ देता है!
सीख: मूर्ख से दोस्ती मत करना… वरना नाक गई समझो!
कथा लेखन के लिए उपयोगी टिप्स (Story Writing Tips in Hindi for Class 9 Students)
- रोचक विषय चुनें
कहानी का विषय ऐसा होना चाहिए जो पाठक को बाँध ले — जैसे गुप्त मिशन, चालाक जानवर, या कोई मज़ेदार पारिवारिक प्रसंग। - आकर्षक शुरुआत करें
कहानी की शुरुआत ऐसी हो कि पाठक बोले — “अब तो पूरी पढ़नी ही पड़ेगी!”
उदाहरण: "शहर सो रहा था, लेकिन अर्जुन जाग रहा था..." - संघर्ष को प्रमुखता दें
हर अच्छी कहानी में एक समस्या होती है — कुछ ऐसा जो पात्रों को चुनौती दे। जैसे — चोरी, गलती, परीक्षा में फेल होना, दोस्त से झगड़ा। - चार-चरणीय संरचना अपनाएँ:
- परिचय: पात्र और स्थिति का वर्णन
- संघर्ष: कहानी की समस्या
- परिवर्तन: पात्रों की सोच/कार्यवाही में बदलाव
- समाधान: कहानी का निष्कर्ष और सीख
- पात्रों का विकास करें
हर पात्र को थोड़ा गहराई दें — उसका व्यवहार, सोच और भावनाएँ दिखाएँ। इससे पाठक जुड़ाव महसूस करेगा। - प्रभावशाली वर्णन का प्रयोग करें
दृश्यों को ऐसे लिखें कि पाठक के मन में चित्र बन जाए। जैसे — “उसका चेहरा पसीने से भीग चुका था, पर उसकी आँखों में अब भी चमक थी।” - तनाव और उत्सुकता बनाए रखें
कहानी में सस्पेंस या रोमांच बना रहे, ताकि पाठक सोचता रहे — “अब क्या होगा?” - कथा को संक्षेप में और स्पष्ट रखें
बातें घुमा-फिराकर नहीं, सीधी और सटीक कहें। भाषा सरल और सुबोध होनी चाहिए।
लघु कहानियों के कुछ उदाहरण – (Story writing in Hindi Samples)
- चतुर अर्जुन
संकेत: दो भाई अकेले, आतंकियों की तलाश, लाल फाइल, कमरे में बंद कर दिया, पुलिस आई
अर्जुन और उसका छोटा भाई करण उस दिन घर में अकेले थे। उनके पापा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे और एक बेहद गोपनीय लाल रंग की फाइल घर पर लेकर आए थे, जिसमें देशभर के खतरनाक आतंकियों की जानकारी थी। अर्जुन को मालूम था कि वह फाइल पापा ने अलमारी के ऊपरी हिस्से में छिपाई है।
अचानक दरवाजे की घंटी बजी। दो संदिग्ध लोग अंदर घुसे और बोले, "हमें वो लाल फाइल चाहिए!" अर्जुन ने समझदारी से जवाब दिया, "फाइल तो शयनकक्ष की ऊपरी अलमारी में है, मैं छोटा हूँ, पहुँचा नहीं जा सकता।"
जैसे ही दोनों आतंकी फाइल ढूँढ़ने में व्यस्त हुए, अर्जुन ने कमरे का दरवाज़ा बाहर से चुपचाप बंद कर दिया और तुरन्त पापा को फोन कर दिया। कुछ ही मिनटों में पुलिस पहुँची और दोनों आतंकियों को दबोच लिया।
शिक्षा: संकट की घड़ी में सूझबूझ ही सबसे बड़ा हथियार होती है।
- भेड़िए की भूखी चाल
संकेत: सूखा पड़ा, भेड़िया भूखा, चरागाह में भेड़ें, चालाकी से पानी माँगा, भेड़ों ने मना किया
पूरे इलाके में महीनों से बारिश नहीं हुई थी। नदियाँ सूख चुकी थीं, खेत बंजर हो गए थे। जानवर भूख-प्यास से परेशान थे। एक भूखा भेड़िया जंगल में घूमते हुए चरागाह तक जा पहुँचा, जहाँ भेड़ों का एक झुंड चर रहा था। वहाँ पानी से भरी बाल्टियाँ भी रखी थीं।
भेड़िए की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा, “पहले पानी पी लूँगा, फिर आराम से इन भेड़ों को खा जाऊँगा।”
वह चुपके से बोला, “ओ प्यारी भेड़ों! मैं बीमार हूँ। क्या तुममें से कोई मुझे थोड़ा पानी दे सकती है?”
भेड़ें सतर्क थीं। उनमें से एक बोली, “तू कोई बीमार नहीं, बल्कि भूखा भेड़िया है। हम इतनी भी मूर्ख नहीं हैं कि खुद ही तेरे मुँह का निवाला बन जाएँ।”
भेड़ें वहाँ से तेजी से भाग गईं और भेड़िया मुँह ताकता रह गया।
शिक्षा: सावधानी और बुद्धिमानी ही सच्ची ताकत है।
- मेहनत की कमाई
संकेत: आलसी लड़का, पैसों से भरा थैला, व्यर्थ खर्च, माँ की सलाह, पैसा खत्म
सोनू नाम का लड़का इतना आलसी था कि उसे काम शब्द से ही चिढ़ थी। एक दिन रास्ते में उसे पैसों से भरा थैला मिला। वह खुशी से उछल पड़ा, जैसे लॉटरी लग गई हो।
सोनू ने मिठाइयाँ खरीदीं, नए कपड़े लिए, दोस्तों को पार्टी दी और मजे उड़ाने लगा। उसकी माँ ने समझाया, “बेटा, ये पैसा यूँ ही मत उड़ाओ। किसी अच्छे काम में लगाओ।”
लेकिन सोनू ने लापरवाही से जवाब दिया, “माँ! अब मुझे मेहनत करने की जरूरत ही नहीं है।”
कुछ ही दिनों में थैला खाली हो गया। फिर वही पुरानी गरीबी और बेरोजगारी। अब जाकर सोनू को एहसास हुआ कि मेहनत की कमाई ही असली पूँजी है।
शिक्षा: जो धन परिश्रम से मिलता है, वही जीवन में स्थायी सुख देता है।
- गुरु का प्रेम
संकेत: आश्रम, नटखट शिष्य, दीवार फाँदना, गुरु जानते थे, प्रेम से समझाया
रवि नाम का बालक एक प्रसिद्ध आश्रम में रहता था। पढ़ाई में तेज़ था लेकिन रात को चुपके से दीवार फाँदकर बाहर चला जाता था। उसे लगता था कि गुरुजी को उसकी इस हरकत की भनक तक नहीं।
एक रात रवि दीवार चढ़ ही रहा था कि गुरुजी ने सब देख लिया। लेकिन उन्होंने डाँटने के बजाय दीवार पर चढ़ने में उसकी मदद की और धीरे से बोले, “बेटा, अगली बार बाहर जाओ तो एक गर्म चादर जरूर ले जाना, रातें अब ठंडी हो चली हैं।”
गुरुजी के इस प्रेम ने रवि का दिल छू लिया। वह शर्मिंदा हुआ और वादा किया कि दोबारा ऐसा नहीं करेगा।
शिक्षा: प्रेम और धैर्य से दिया गया सबक, जीवनभर याद रहता है।
- चालाक चिड़िया
संकेत: पालतु चिड़ियाँ, पिंजरा, बिल्ली डॉक्टर बनकर आई, दरवाजा खोलने को कहा, चिड़ियों ने समझा
एक व्यक्ति ने अपनी प्यारी चिड़ियों के लिए एक बड़ा-सा पिंजरा बनाया था, जिसमें वे आराम से उड़ान भर सकती थीं। वह रोज़ ताजे पानी और दाने से उनकी देखभाल करता।
एक दिन जब वह घर पर नहीं था, एक चालाक बिल्ली डॉक्टर की वेशभूषा में वहाँ पहुँची और बोली, “प्यारी चिड़ियों, दरवाजा खोलो! मैं डॉक्टर हूँ और तुम सबका चेकअप करने आई हूँ।”
लेकिन समझदार चिड़ियाँ भली-भाँति जानती थीं कि यह कोई डॉक्टर नहीं, उनकी दुश्मन बिल्ली है।
उन्होंने जवाब दिया, “हम मूर्ख नहीं हैं। दरवाजा तो भूलकर भी नहीं खोलेंगे। तुम जाओ यहाँ से।”
बिल्ली ने लाख मिन्नतें कीं, पर चिड़ियाँ टस से मस नहीं हुईं। आखिरकार मायूस होकर वह लौट गई।
शिक्षा: समझदारी ही हर खतरे से रक्षा करती है।
Laghu Katha Lekhan FAQs (लघु कथा लेखन से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: लघु कथा लेखन क्या होता है?
उत्तर:
लघु कथा लेखन हिंदी गद्य साहित्य की एक दिलचस्प और संक्षिप्त विधा है। इसमें किसी एक घटना, भावना या विचार को बहुत ही सीमित शब्दों में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि कहानी संपूर्ण लगे। इसका उद्देश्य पाठक के मन में गहरी छाप छोड़ना होता है – कम शब्दों में ज़्यादा प्रभाव डालना ही इसकी खूबी है।
Q2: लघु कथा के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- शीर्षक आधारित लघु कथा
शीर्षक – अभ्यास की ताक़त
बहुत पहले भारत में एक लड़का था जो पढ़ाई में काफ़ी कमजोर था। जब वह पाँच साल का हुआ तो उसे गुरुकुल भेजा गया। दस साल बीत गए, लेकिन वह कुछ खास नहीं सीख पाया। साथी उसे मज़ाक में ‘वरदराज’ यानी बैलों का राजा बुलाते थे।
एक दिन गुरुजी ने कहा, "बेटा, तुम विद्या के क्षेत्र में फिट नहीं हो, कुछ और काम करो।"
निराश होकर वरदराज जंगल की ओर चला और आत्महत्या की सोचने लगा। तभी उसकी नज़र कुएँ पर पड़ी जहाँ रस्सी की रगड़ से पत्थर तक घिस गया था। उसे एहसास हुआ, "जब पत्थर घिस सकता है तो मैं क्यों नहीं सीख सकता?"
वह गुरुकुल लौटा, कड़ी मेहनत की, और एक दिन वह संस्कृत का महान विद्वान बना। उसकी बनाई पुस्तक “लघु सिद्धांत कौमुदी” आज भी प्रसिद्ध है।
शिक्षा: निरंतर अभ्यास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
- संकेत बिंदु आधारित लघु कथा
शीर्षक – शेर और चूहा
एक बार की बात है, जंगल में एक शेर आराम कर रहा था। तभी एक नन्हा चूहा उसकी पीठ पर कूदने लगा। शेर ग़ुस्से में गरजा, "तुझे अभी मार डालूंगा!"
डरे हुए चूहे ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दीजिए। शायद किसी दिन मैं आपकी मदद कर सकूं।"
शेर हँस पड़ा लेकिन उसे छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद शेर एक शिकारी के जाल में फँस गया। चूहा आया और उसने जाल कुतरकर शेर को आज़ाद कर दिया।
शेर ने कहा, "तुमने मेरी जान बचाई, धन्यवाद!"
शिक्षा: कभी भी किसी को छोटा मत समझो। हर जीव महत्वपूर्ण होता है।
Q3: कक्षा 10 में लघु कथा लेखन के कितने अंक होते हैं?
उत्तर:
कक्षा 10 में लघु कथा लेखन प्रश्न का मूल्यांकन 5 अंकों में किया जाता है।
Q4: क्या लघु कथा लेखन में विकल्प (Choice) दिया जाता है?
उत्तर:
जी हाँ! बोर्ड परीक्षा में अक्सर लघु कथाओं में विकल्प दिया जाता है, जिससे छात्र अपनी पसंद की कहानी चुन सकें।
Q5: लघु कथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
लघु कथा लेखन करते समय इन बिंदुओं का विशेष ध्यान रखें:
बिंदु |
व्याख्या |
रूपरेखा का पालन |
कहानी संकेत बिंदु या रूपरेखा पर आधारित होनी चाहिए। |
घटनाओं का संतुलन |
हर प्रसंग को उचित जगह और विस्तार देना ज़रूरी है। |
आकर्षक शुरुआत |
आरंभ ऐसा हो कि पाठक रुचि से अंत तक पढ़े। |
सरल भाषा |
कठिन शब्दों से बचें, भाषा प्रभावशाली और सहज हो। |
उपयुक्त शीर्षक |
कहानी के सार को दर्शाने वाला शीर्षक दें। |
मुहावरे-लोकोक्तियाँ |
इनका प्रयोग कहानी को और मजेदार बनाता है। |
भूतकाल का प्रयोग |
लघु कथाएं हमेशा भूतकाल में लिखी जाती हैं। |
सहज अंत और सीख |
अंत स्पष्ट और सीख प्रेरणादायक होनी चाहिए। |
Q6: लघु कथा कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
लघु कथा एक स्वतंत्र लेखन विधा है, यह आकार में संक्षिप्त होती है। इसे अलग-अलग प्रकारों में बाँटा नहीं गया है।
Q7: क्या लघु कथा में पूरे अंक मिल सकते हैं? कैसे?
उत्तर:
बिलकुल! यदि आप कहानी को रचनात्मक, स्पष्ट, और निर्देशों के अनुसार लिखते हैं, तो पूरे अंक मिलना संभव है।
ध्यान रखें:
- संकेतों के अनुसार विस्तार करें।
- आरंभ और अंत दोनों प्रभावशाली हों।
- भाषा सरल और स्वाभाविक रखें।
- शिक्षा स्पष्ट हो।
Q8: लघु कथा कितने शब्दों में लिखनी चाहिए?
उत्तर:
लघु कथा 100 से 120 शब्दों में होनी चाहिए। इससे अधिक शब्दों का प्रयोग करने पर अंक कट सकते हैं।
Q9: लघु कथा को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर:
लघु कथा को अंग्रेज़ी में Short Story Writing कहते हैं।