class 10 hindi moral stories Moral Stories In Hindi For Class 10 | जानिए 10 बेहद खास कहानियां
Moral Stories In Hindi For Class 10-10th कक्षा के लिए नैतिक कहानियाँ: हाँ, हम आपको इस तरह की class 10 hindi moral stories सुनाने जा रहे हैं, जो पढ़ने या सुनने में बहुत मजेदार होंगी। इन सभी class 10 hindi moral stories से आपको बहुत कुछ नया सिखने का अवसर मिलेगा।
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10th कक्षा के लिए नैतिक कहानियाँ class 10 hindi moral stories
हमारा उद्देश्य केवल आपको मनोरंजन करना नहीं है, बल्कि आप इन 10वीं कक्षा की नैतिक कहानियों से खुद को एक सही दिशा में ले जा सकते हैं। हमारा दावा है कि आपको इन 10वीं कक्षा की नैतिक कहानियों में सभी कहानियाँ बहुत पसंद आएंगी। तो बिना देर किए चलिए कहानी में आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि 10वीं कक्षा की नैतिक कहानियों को पढ़ने में कैसा मजा आता है।Delve into the realm of captivating narratives with our compilation of Moral Stories in Hindi for Class 10- class 10 Hindi moral stories. We bring you 10 incredibly engaging stories that promise not just entertainment but also valuable lessons. The joy derived from reading or listening to these stories is unparalleled, offering a unique blend of fun and learning. Each narrative is carefully curated to be highly effective for Class 10 students, ensuring a fulfilling experience and an opportunity to acquire new insights.
Moral Stories In Hindi For Class 10 | जानिए 10 बेहद खास कहानियां class 10 hindi moral stories
Unveiling the Magic of Moral Stories in Hindi for Class 10
Our objective extends beyond mere entertainment – we aim to guide you towards the right path through our Moral Stories in Hindi for Class 10. These stories serve as a compass, steering you in a direction that aligns with ethical values and life principles. We assert that you will thoroughly enjoy every story in our collection, providing not just amusement but also a wealth of knowledge. Let's dive into the narratives and discover the sheer delight of exploring Moral Stories in Hindi for Class 10.
The Journey Begins: Moral Stories In Hindi For Class 10
Embark on a journey where each story is crafted not just for your entertainment but also for personal growth. Our curated collection of Moral Stories in Hindi for Class 10 guarantees a delightful experience. Let's delve into the narratives and uncover the joy of reading Moral Stories In Hindi For Class 10.
सत्य और सुख | Hindi Stories Class 10
बहुत समय पहले, एक बुद्धिमान वक्ती जिब्रान नामक व्यक्ति था। किसी ने उससे पूछा, 'वर्तमान में दुष्टता, हिंसा और अनैतिकता क्यों बढ़ रही है?' जिब्रान ने उत्तर दिया, 'जब भगवान ने मनुष्य को इस संसार में भेजा, तो उसने उसे दो हाथों में एक-एक घड़ा दिया था।
ईश्वर ने कहा, एक घड़ा सत्य से भरा है, जिसका संरक्षण लाभकारी होगा। दूसरे घड़े में सुख है, जो कामवासना पैदा करता है। जब तुम दुनिया में जाओ, वहां शैतान (अज्ञान) और माया (अविद्या) का शासन है। जीवन देने के बावजूद सत्य की रक्षा करना, यथास्थिति को सुरक्षित रखना।
सत्य और सुख | class 10 hindi moral stories
सुख की इच्छा को सीमित रखना। यह याद रखना कि तुम्हारे दाहिने हाथ में सत्य का घड़ा है और तुम्हारे बायें हाथ में सुख का घड़ा है। रास्ते में थकान महसूस हुई। जब वह एक पेड़ की छाया में बैठा, तो उसे नींद आ गई। शैतान ने चुपचाप परमेश्वर की शिक्षा सुनी थी, वह भी उस मनुष्य के पीछे पीछे चल रहा था। आदमी को सोता देख उसने चुपचाप दाहिना हाथ का बर्तन बाएं हाथ में और बाएं हाथ का बर्तन दाएं हाथ में रख दिया और गायब हो गया।
वह आदमी भ्रम में था और सत्य को व्यर्थ समझकर निर्ममता से लूटने लगा। देखते ही देखते सच्चाई का खजाना खाली हो गया। उसके पास केवल सुख और इच्छाएँ रह गई थीं। यही कारण है कि संसार में दैत्य, हिंसा और क्रूरता का बोलबाला दिखाई देता है।
खलील जिब्रान ने कहा, “सच्चाई का त्याग करने वाले से मानवता अपने आप दूर हो जाती है। वह भोग-विलास और अन्य नशीले पदार्थों में फंसकर अपना और दूसरों का जीवन दु:खमय बनाने में लगा रहता है।
Moral Stories In Hindi For Class 10, नैतिक शिक्षा: इसलिए बच्चों, हमेशा सत्य की पथ में चलें।
तृष्णा के दुष्परिणाम | Short Moral Stories In Hindi For Class 10
तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ, काशी के राजा विश्वसेन के पुत्र थे। उनके पिता ने सोलह वर्ष की आयु में उन्हें सत्ता सौंप दी थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में उनका सांसारिक सुखों से मोहभंग होना शुरू हो गया। एक दिन उसने अपने पिता से कहा, ‘मैंने एक राजा के रूप में लंबे समय तक सांसारिक सुखों का आनंद लिया है, फिर भी सुख की लालसा कम नहीं हुई है।
जिस प्रकार ईंधन के उपयोग से अग्नि की ज्वाला का शमन नहीं होता, उसी प्रकार सुखोपभोग से तृष्णा की वृद्धि ही होती है।’ कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘उपभोग के समय हमें जो सुख रुचिकर दिखाई देते हैं, वे अत्यंत दुःख के रूप में सामने आते हैं। अतः अब मैं इन भ्रामक सुखों से ऊबकर अपना जीवन सार्थक करने के लिए वन में जाना चाहता हूँ।
राजपद छोड़ने के बाद वन गमन करने से पूर्व पार्श्वनाथ ने उपदेश देते हुए कहा, ‘जीव इंद्रिय लोलुपता की संतुष्टि के लिए दुःख के सागर में गोते लगाता रहता है, सत्कर्मों का त्यागकर दुष्कर्मों की ओर प्रवृत्त हो जाता है। लोभ, लालच, राग, द्वेष, चोरी, परस्त्रीगमन और अन्य कई प्रकार के पापों के मूल में मनुष्य की तृष्णा ही विद्यमान है।
परम ऋषि पार्श्वनाथ, जिन्होंने सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया था, उन्होंने तीस वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों का सार प्राप्त कर लिया था। साधु-संन्यासी के वेश में उन्होंने समीदा की पहाड़ी पर तपस्या की।
साधना पूर्ण होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों को सत्य, सद्गुण और अहिंसा का पालन करने का उपदेश देते हुए बिताया। उन्होंने जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर के रूप में अमरत्व प्राप्त किया।
Short Moral Stories In Hindi For Class 10, नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लोभ, मोह, द्वेष, चोरी, व्यभिचार आदि विनाशकारी शब्दों से दूर रहना चाहिए।
सच्ची सेवा का मर्म | Short Story In Hindi For Class 10
सेवा-सहायता को सभी शास्त्रों में सर्वोपरि धर्म बताया गया है। महर्षि वेद व्यास ने अष्टदशा पुराणों में लिखा है, ‘परोपकाराय पुण्याय पपीता परपिदानम्’। अर्थात् दान पुण्य है और दूसरों को कष्ट देना पाप है।
कुछ पाने की इच्छा से की गई सेवा को शास्त्रों में निष्फल बताया गया है। कहा गया है, ‘सेवा यदि कर्तव्यवश या आध्यात्मिक सुख के लिए की जा रही है तो वह सच्ची सेवा है और यदि सेवा लोभ से की जा रही है तो वह केवल दिखावा है। उसका फल नहीं मिलता।
ईशोपनिषद में कहा गया है कि समस्त प्राणियों में आत्मा के दर्शन की भावना ही सेवा का आधार है। वही सच्चा मानव है जो भूखे-प्यासे को देखकर उसकी भूख-प्यास को अपना समझकर उसे अपनी आत्मा समझकर अन्न-जल देने को तैयार हो जाता है।
निःस्वार्थ सेवा की ऐसी भावना अत्यंत गुणी व्यक्ति में पैदा होती है। यहां तक कहा गया है- ‘सेवा धर्म परम गहनो योगिना मध्यमागम्य’। अर्थात् सेवा धर्म इतना कठिन है कि योगियों के लिए भी अप्राप्य है।’ याज्ञवल्क्यजी ने लिखा है, ‘आत्म-साक्षात्कार से की गई सेवा ही फलदायी होती है।
आध्यात्मिक व्यक्तित्व हनुमान प्रसाद पोद्दार भीषण ठंड में आधी रात को चुपचाप गीता वाटिका (गोरखपुर) से निकल जाते थे और गरीबों को कंबल और चादर ओढ़ा देते थे, एक बार एक पत्रकार ने कंबल ओढ़ने की तस्वीर खींच ली. पोद्दारजी ने विनम्रता से उनसे कहा, ‘इस तस्वीर को अखबार में प्रकाशित मत करना, किसी को बताना नहीं, नहीं तो मैं पुण्य के बदले पाप का भागी बनूंगा।
Hindi Stories For Class 10, नैतिक शिक्षा : इस कहानी से हम यह समझ सकते हैं की हमे कोई भी काम निस्वार्थ करनी है, बिना किसी लोभ और आसा से. इस कहानी से हम समझ सकते हैं कि हमें क्या काम करना है, बिना किसी लोभ और इच्छा के। क्योंकि अच्छा फल पाने की चाह में यदि आप किसी की मदद करेंगे तो वह सार्थक नहीं होगा।
डरपोक पत्थर | class 10 hindi moral stories
बहुत समय पहले, एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए पत्थर खोजने जंगल में गया था। वहाँ उसे एक बहुत अच्छा पत्थर मिला। जिसे देखकर वह बहुत खुश हुए और कहा कि “यह पत्थर मूर्ति को बनने के लिए बहुत सही रहेगा”।
जब वह आ रहा था तो उसे एक और पत्थर मिला, वह उस पत्थर को अपने साथ ले गया। घर जाकर उसने वह पत्थर उठाया और अपने औजारों से उस पर काम करने लगा। जब पत्थर को औजारों से चोट लगी तो पत्थर कहने लगा “मुझे छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है”। अगर तुमने मुझे मारा तो मैं टूट कर बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर पर मूर्ति बनाओ।
पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गई। वह पत्थर छोड़कर दूसरा पत्थर लेकर मूर्ति बनाने लगा। दूसरा पत्थर ने कुछ नहीं बोला। कुछ समय में उस शिल्पकार ने उस पत्थर से भगवान की एक बहुत अच्छी मूर्ति बना ली।
मूर्ति बनने के बाद गांव के लोग उसे लेने पहुंचे। उन्होंने सोचा कि नारियल को फोड़ने के लिए हमें एक और पत्थर की आवश्यकता होगी। वे वहाँ रखा पहला पत्थर भी अपने साथ ले गए। मूर्ति को लेकर उसने उसे मंदिर में सजाया और उसी पत्थर को उसके सामने रख दिया।
अब जब भी कोई व्यक्ति मंदिर में दर्शन के लिए आता था, तो वह मूर्ति की पूजा फूलों से करता था, उसे दूध से स्नान कराता था और पहले पत्थर पर नारियल फोड़ता था। जब लोग उस पत्थर पर नारियल फोड़ते थे तो पत्थर को बहुत परेशानी होती थी।
वह दर्द में था और चिल्लाता था, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। उस पत्थर ने मूर्ति से बने पत्थर से बात की और कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, इसलिए लोग तुम्हारी पूजा करते हैं। आपको दूध से नहलाया जाता है और लड्डू का प्रसाद दिया जाता है।
लेकिन मेरी किस्मत खराब है लोग मुझ पर नारियल फोड़ते हैं। इस मूर्ति से बने पत्थर ने कहा कि जब शिल्पकार आप पर काम कर रहा था, अगर उस समय आपने उसे नहीं रोका होता, तो आप आज मेरी जगह होते।
आपने आसान रास्ता चुना, इसलिए अब आप पीड़ित हो रहे हैं। वह पत्थर मूर्ति की बात समझ गया था। उन्होंने कहा कि अब से मैं भी शिकायत नहीं करूंगा. इसके बाद लोग आकर उस पर नारियल तोड़ते।
नारियल फूटने पर उस पर भी नारियल पानी गिरता है और अब लोग प्रसाद चढ़ाकर उस पत्थर पर मूर्ति रखने लगे हैं.
class 10 hindi moral stories, नैतिक शिक्षा : हमें कभी भी कठिन परिस्थितियों से नहीं डरना चाहिए।
खजाने की खोज | Short Hindi Story For Class 10
एक गाँव में रामलाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़कों के साथ रहता था। रामलाल खेतों में मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था। लेकिन उसके चारों लड़के आलसी थे।
जो गांव में इधर-उधर घूमते रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा कि “इस समय मैं खेतों में काम कर रहा हूं। लेकिन मेरे बाद इन लड़कों का क्या होगा”? उन्होंने कभी कोई प्रयास ही नहीं किया। वह कभी खेत भी नहीं गया।
रामलाल की पत्नी ने कहा कि “धीरे-धीरे ये भी काम करने लगेंगी”। समय बीतता गया और रामलाल के लड़कों ने कोई काम नहीं किया। एक बार रामलाल बहुत बीमार पड़ गए। वह कई दिनों तक बीमार रहे।
उसने अपनी पत्नी से चारों लड़कों को बुलाकर लाने को कहा। उसकी पत्नी चारों लड़कों को बुलाकर ले आई। रामलाल ने कहा कि “लगता है अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहूंगा”। रामलाल को इस बात की चिंता सता रही थी कि उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा।
इसलिए उसने कहा, “बेटों, मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी कमाया है, वह खजाना मेरे खेतों के नीचे दबा हुआ है। मेरे बाद तुम उस में से खजाना निकालकर आपस में बांट लेना”। यह सुनकर चारों लड़के खुश हो गए।
कुछ समय बाद रामलाल की मौत हो गई। रामलाल की मौत के कुछ दिन बाद उसके बेटे खेत में दबा खजाना निकालने गए। उसने सुबह से शाम तक पूरे खेत की खुदाई की। लेकिन उन्हें कोई खजाना नजर नहीं आया।
लड़कों ने घर आकर अपनी माँ को बताया कि “माँ और पिताजी ने हमसे झूठ बोला है। हमें उस खेत में कोई खजाना नहीं मिला”। उसकी मां ने बताया कि “तुम्हारे पिता ने अपने जीवन में सिर्फ यही घर और खेत कमाया है। किन्तु अब तुमने खेत को खोदा है’ तो उसमें बीज बोओ।
इसके बाद लड़कों ने बीज बोया और मां के अनुरोध के अनुसार उसमें पानी देते रहे। कुछ समय बाद फसल पक कर तैयार हो गई। जिसे बेचकर लड़कों ने अच्छा मुनाफा कमाया। जिससे वह अपनी मां के पास पहुंचे। माँ ने कहा कि तुम्हारी मेहनत ही असली खजाना है, यही तुम्हारे पिता तुम्हें समझाना चाहते थे।
class 10 hindi moral stories, नैतिक शिक्षा : हमें आलस्य को त्यागकर मेहनत करना चाहिए। मेहनत ही इंसान की असली दौलत है।
मेहनत का फल | class 10 hindi moral stories
एक गाँव में दो दोस्त नकुल और सोहन रहते थे। नकुल बहुत धार्मिक थे और भगवान में बहुत विश्वास करते थे। जबकि सोहन काफी मेहनती था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा जमीन खरीदी। जिससे वह बहुत सारी फसलें उगाना चाहता था और अपना घर बनाना चाहता था।
सोहन खेत में बहुत मेहनत करता था लेकिन नकुल ने कोई काम नहीं किया लेकिन मंदिर जाकर अच्छी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना की। ऐसे ही समय बीत गया। कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गई।
जिसे दोनों ने बाजार ले जाकर बेच दिया और उन्हें अच्छे पैसे मिले। घर आकर सोहन ने नकुल से कहा कि इस पैसे में से मुझे अधिक हिस्सा मिलेगा क्योंकि मैंने खेत में बहुत मेहनत की है। यह सुनकर नकुल ने कहा नहीं, मुझे तुमसे अधिक धन का हिस्सा मिलना चाहिए क्योंकि मैंने भगवान से प्रार्थना की तभी हमें अच्छी फसल मिली।
ईश्वर के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जब दोनों आपस में यह बात नहीं सुलझा पाए तो दोनों पैसे बांटने के लिए गांव के मुखिया के पास गए। उन दोनों की बात सुनकर मुखिया ने उनमें से प्रत्येक को चावल की एक बोरी दी जिसमें कंकड़ मिलाए गए थे।
मुखिया ने कहा कि कल सुबह तक तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करना है, फिर मैं तय करूँगा कि इस पैसे का अधिक हिस्सा किसे मिलना चाहिए। दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन रात भर जाग कर चावल और कंकड़ अलग करता रहा।
लेकिन नकुल चावल की बोरी लेकर मंदिर गया और भगवान से चावल से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना की। अगली सुबह सोहन उतने चावल और कंकड़ अलग-अलग करके ले गया और मुखिया के पास गया। मुखिया यह देखकर प्रसन्न हुए। नकुल वही बोरा लेकर मुखिया के पास गया।
मुखिया ने नकुल से कहा कि दिखाओ कि तुमने कितने चावल साफ किए हैं। नकुल ने कहा कि मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है कि सारे चावल साफ हो गए होंगे। बोरी खोली तो चावल और कंकड़ एक ही थे।
जमींदार ने नकुल से कहा कि भगवान भी तभी मदद करते हैं जब तुम मेहनत करते हो। जमींदार ने अधिकांश धन सोहन को दे दिया। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और इस बार उसकी फसल पहले से अच्छी हुई।
Stories In Hindi For Class 10, नैतिक शिक्षा : यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं रहना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
सच्चे साथी | Hindi Story For Class 10
एक बार की बात है, राधा नाम की एक बहुत ही प्यारी लड़की थी, जो अपने पिता के साथ रहती थी। उनकी माता का देहांत बचपन में ही हो गया था। वह घर का काम करती थी और कॉलेज जाती थी। कॉलेज जाते समय रास्ते में वह रोज पक्षियों को दाना डालती थी।
उसके घर में 2 पक्षी भी थे, जिन्हें वह रोज दाना डालती थी। एक दिन जमींदार के बेटे ने उसे पक्षियों को दाना डालते देख लिया। उसने अपने पिता से राधा से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की।
जमींदार ने राधा के पिता से बात करके अपने पुत्र की शादी राधा से करा दी। राधा भी घर के पिंजरे से दो चिड़ियों को लेकर अपनी ससुराल आ गई। वह प्रतिदिन उन पक्षियों को दाना डालती थी। राधा की सास को यह बिल्कुल पसंद नहीं था।
सास उन पक्षियों को परेशान करती थी और उनका अनाज और पानी जमीन पर फेंक देती थी। एक दिन राधा की सास ने चिड़िया का पिंजरा जमीन पर पटक दिया। राधा ने उसे ऐसा करते देख लिया।
राधा ने मना किया तो उसकी सास राधा पर भड़क गईं। इन सब बातों से राधा को चिंता होने लगी। एक दिन जब राधा के पति ने परेशानी का कारण पूछा तो उसने सारी बात बता दी। उनके पति ने राधा को उनकी भलाई के लिए पक्षियों को पार्क में छोड़ने की सलाह दी। राधा ने दोनों पक्षियों को बाकी पक्षियों के साथ पार्क में छोड़ दिया।
वह कभी-कभी उन्हें खाना खिलाने पार्क में चली जाती थी। अब पार्क के सभी पक्षी राधा के अच्छे दोस्त बन गए थे। राधा के घर भी अब पंछी आने लगे हैं। यह बात राधा की सास को पता चली तो वे भड़क गईं। वह राधा को मायके छोड़ने के लिए अपने साथ ले गई।
रास्ते में कुछ चोरों ने राधा की सास के जेवर चुराने का प्रयास किया। तभी राधा के पक्षियों ने आकर चोरों पर आक्रमण कर दिया। जिससे चोर भाग गए। इसके बाद राधा और उसकी सास घर लौट गईं।
अब राधा की सास की सोच पक्षियों के प्रति बदल चुकी थी। उन्होंने राधा से कहा कि अब हम दोनों पक्षियों को खाना देने जाएंगे और पहले दो पक्षियों को घर वापस लाएंगे। यह सुनकर राधा बहुत खुश हुई और वे दोनों पक्षियों के साथ बड़े आनंद से अपना जीवन व्यतीत करने लगी।
नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जानवरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
घर आए मेहमान | Moral Stories In Hindi For Class 10
राहुल अपनी पत्नी सीमा और अपनी मां के साथ रहता था। गर्मी की छुट्टियों में राहुल के चाचा-चाची बेटे सोनू के साथ उनके घर रहने आए थे। घर आते ही चाचा ने राहुल से कहा कि यहाँ बहुत गर्मी है। क्या घर में AC नहीं है?
राहुल की मां ने कहा भाई, अभी कुछ दिन पहले राहुल ने अपने कमरे में AC लगाई थी. यह सुनकर चाचाजी ने अपने बेटे से कहा कि वह सारा सामान राहुल के कमरे में ले जाव। राहुल और उनकी पत्नी सीमा चुप रहे क्योंकि उन्हें लगा कि यह केवल कुछ दिनों की बात है।
इस तरह चाचा-चाची को राहुल के घर पर रहने में एक महीना बीत गया। राहुल ने अपनी मां से पूछा कि चाचीजी कब जाने वाले हैं। कब तक हम इस तरह हॉल में सोते हुए अपना जीवन व्यतीत करेंगे?
राहुल की मां बोली बेटा, यह तो नातेदारी की बात है। हम तो कुछ कह भी नहीं सकते। राहुल की पत्नी सीमा ने कहा कि सब ठीक है, लेकिन उनका छोटा बेटा सोनू दिन भर घर में हंगामा करता रहता है.
कल उसने हमारे नए सोफे को बुरी तरह नष्ट कर दिया। राहुल बहुत नाराज़ हुआ क्योंकि उसने नया नष्ट कर दिया था. उसने अपनी पत्नी से कहा कि तुम सोनू को ऐसा करने से क्यों नहीं रोकते। सीमा ने कहा कि जब से चाचा-चाची आए हैं।
कुछ न कुछ खाने की मांग करते रहते हैं। जिसके लिए मैं और सासु मां सारा दिन किचन में बिताते हैं। राहुल ने कहा कि मैं अभी जाऊंगा और चाचा से पूछूंगा कि आखिर कब जाएंगे। बात करते-करते राहुल ने चाचा को बताया कि एक महीना हो गया है। आपकी नौकरी की छुट्टियां समाप्त हो गई होंगी, है ना?
चाचा ने कहा राहुल मैंने कब की नौकरी छोड़ दी हैं। अब मैं बिजनेस करता हूं और अब इस शहर में भी कुछ बिजनेस खोलने की सोच रहा हूं। सबसे पहले तो मैं इस शहर को अच्छे से समझ लूं, जिसमें कम से कम 2-3 महीने लगेंगे।
यह सुनकर राहुल समझ गया कि चाचा जी अभी जाने वाले नहीं हैं। उसने यह बात अपनी पत्नी और मां को बताई। सीमा ने कहा कि जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता है तो उंगली को टेढ़ी करना पड़ता है।
उनके साथ भी कुछ ऐसा ही करना है। अब तुम यह काम मुझ पर छोड़ दो। उसी रात चाची और चाचा छत पर थे। तभी उसका बेटा सोनू चिल्लाता हुआ उसके पास गया और बोला कि मैंने अभी-अभी चुड़ैल देखी है।
तभी वहां एक चुड़ैल आई और चाची और चाचा से बोली कि तुम में से कौन मेरा खाना पहले बनाना चाहेगा। चुड़ैल को देखकर वे सब बहुत डर गए और उस घर से भाग गए। उनके जाने के बाद, सीमा अपना चुड़ैल का मास्क उतार देती है।
चाची के परिवार के जाने के बाद सभी ने राहत की सांस ली। सीमा की सास ने सीमा से कहा कि तुम बहुत अच्छी चुड़ैल बन जाती हो। यह कहकर सब हंसने लगे।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी रिश्ते का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। जिस तरह से बुआ के परिवार ने उनकी रिश्तेदारी का गलत फायदा उठाया और दूसरों को परेशान किया।
खुनी झील | 10वीं कक्षा की हिंदी कहानी नैतिक शिक्षा के साथ Stories In Hindi For Class 10
एक बार की बात है, एक जंगल में एक सरोवर था जिसे "खूनी झील" कहा जाता था। शाम के बाद कोई भी उस सरोवर में पानी पीने जाता तो वापस नहीं आता था। एक दिन जंगल में चुन्नू हिरण रहने आया।
जंगल में उसकी मुलाकात जग्गू बंदर से हुई। जग्गू बंदर ने चुन्नू को जंगल के बारे में सब कुछ बताया, लेकिन झील के बारे में बताना भूल गया। जग्गू बंदर ने अगले दिन जंगल के सभी जानवरों को चुन्नू हिरण का परिचय दिया।
जंगल में चुन्नू हिरण का सबसे अच्छा दोस्त एक चतुर खरगोश निकला। जब भी चुन्नू हिरण को प्यास लगती थी, वह उस सरोवर में पानी पीने जाता था। वह शाम को भी उसमें पानी पीने जाता था।
एक शाम जब वह उस सरोवर में पानी पीने गया तो उसने देखा कि एक मगरमच्छ बहुत तेजी से उसकी ओर आ रहा है। जिसे देखकर वह बहुत तेजी से जंगल की ओर भागने लगा। रास्ते में उसे जग्गू बंदर मिला।
जग्गू ने पूछा कि चुन्नू हिरण से इतनी तेजी से क्यों भाग रहा है। चुन्नू हिरण ने उसे सारी बात बता दी। जग्गू बंदर ने कहा कि मैं आपको बताना भूल गया कि यह एक खूनी सरोवर है। जो भी शाम के बाद जाता है वापस नहीं आता है।
लेकिन मगरमच्छ उस झील में क्या कर रहा है। हमने उसे कभी नहीं देखा। इसका मतलब है कि मगरमच्छ शाम के बाद उस झील में पानी पीने जाने वाले सभी जानवरों को खा जाता है।
अगले दिन जग्गू बंदर जंगल के सभी जानवरों को लेकर उस झील पर चला गया। सभी जानवरों को आता देख मगरमच्छ छिप गया। लेकिन मगरमच्छ की पीठ अब भी पानी के ऊपर दिखाई दे रही थी।
सभी जानवरों ने कहा कि वे जो पानी के बाहर देखते हैं वह मगरमच्छ है। मगरमच्छ यह सुनकर कुछ नहीं बोला। चतुर खरगोश ने सोचा और कहा नहीं, यह तो पत्थर है। लेकिन हम तभी मानेंगे जब वह खुद बताएंगे।
यह सुनकर मगरमच्छ ने कहा कि मैं पत्थर हूं। इससे सभी जानवरों को पता चला कि यह एक मगरमच्छ है। चतुर खरगोश ने मगरमच्छ से कहा कि तुम यह भी नहीं जानते कि पत्थर बोलते नहीं हैं। इसके बाद सभी जानवरों ने मिलकर उस मगरमच्छ को उस झील से भगा दिया और खुशी-खुशी रहने लगे।
class 10 hindi moral stories नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि अगर हम सब मिलकर बिना घबराए किसी भी समस्या का सामना करें तो उससे निजात पा सकते हैं।
प्रेरणादायक कहानी | Short Hindi Story For Class 10
एक समय की बात है, एक स्कूल में कक्षा को पुराने तरीकों से गरम किया जा रहा था। एक छोटे से लड़के ने वार्मअप कक्षा शुरू करने के लिए सबसे पहले स्कूल पहुंचने का नियमित आदत बना रखी थी। एक सुबह, जब बाकी सभी छात्र और शिक्षक स्कूल पहुंचे, तो उन्होंने हेरफेर देखा कि स्कूल में आग लग गई है। वहां उन्हें एक बेहोश लड़का मिला, और उसे त्वरितता से बाहर निकाला गया।
आग में लड़के का शरीर जल चुका था और उसे अस्पताल में ले जाया गया। जब वह अस्पताल में बिस्तर पर लेटा हुआ था, तो डॉक्टर से उसकी मां ने बातचीत करते सुनी। "लड़के का शरीर बहुत गंभीर रूप से प्रभावित हो गया है, उसकी बचाव की कोई उम्मीद नहीं है," डॉक्टर ने कहा। लेकिन यह बहादुर लड़का मौत से नहीं डरा। वह जीना चाहता था।
कुछ दिनों के बाद, लड़के ने फिर से डॉक्टर और उसकी मां के बीच बातचीत सुनी। मां को बताया गया कि "आग के कारण उसके शरीर के निचले हिस्से का अधिकांश हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है और उसके निचले अंग अपंग हो गए हैं।" लेकिन बहादुर लड़का ने आशा नहीं हारी और फिर से चलने का निश्चय किया। दुर्भाग्य से, उसके पैर दुबले हो गए, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
वह अस्पताल से बाहर आया और अपनी मां के साथ घर वापस गया। मां रोज़ उसके पैरों की मालिश करती थी, लेकिन बहुत समय तक उसे पैरों में कोई बहुत बड़ी सुनसानी नहीं महसूस हुई। फिर भी, उसने ठान लिया कि एक दिन वह जरूर चलेगा। उसकी मां उसे व्हीलचेयर पर घर से बाहर ले जाती थी ताकि वह ताजगी से हवा में साँस ले सके।
एक दिन, जब व्हीलचेयर की सीमा थी, उसने खुद को घास में गिरा दिया। और सिर्फ अपने दोनों हाथों के सहारे, उसने अपने पूरे शरीर को खींचते हुए खड़ा होने का निश्चय किया। वह धीरे-धीरे अपने आप को आगे बढ़ाता रहा और उसने खड़ा होने का उत्साह बनाए रखा। अंत में, रोज़ाना की मेहनत और अपने मजबूत निश्चय के साथ उसने उठकर खड़ा हो गया।
और फिर वह चलना शुरू करता है, फिर दौड़ना शुरू करता है। वह अपने स्कूल जाने लगता है और बाद में एक कॉलेज टीम में शामिल हो जाता है। बाद में, उसने मेडिसिन स्क्वायर गार्डन में दुनिया की सबसे तेज मील दौड़ लगाई और 1934 में विश्व रिकॉर्ड बनाया, 4:06:08 मिनट में एक मील की दौड़ पूरी की
ग्लेन कनिंघम को जीने की उम्मीद नहीं थी, जिसने कभी दौड़ने की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन उसने अपने मन की शक्ति और अद्वितीय संघर्ष से सफलता प्राप्त की।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब हमारी मेहनत, उम्मीद और आत्म-नियंत्रण सही दिशा में होते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
गरीब की दया | Hindi Story For Class 10 With Moral
एक समय की बात है, राजस्थान में स्थित एक गाँव में एक सज्जन साधु आत्मा के साथ विचार-विमर्श करने के लिए आए थे। लोग उनके बारे में सुनकर उनके पास गए और अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पूछने लगे। स्वामीजी ने सभी के प्रश्नों का उत्तर दिया और उनकी सहायता की। इस प्रकार, दो दिन बीते, लेकिन स्वामीजी ने न तो खाना खा या पानी पी, न ही आराम किया। उन्होंने अपनी साधना में इतना मग्न हो गए थे कि वे अपनी आध्यात्मिक साधना में ही लीन रहे।
इसी बीच, एक गरीब आदमी ने भी स्वामीजी के पास आकर कहा, "स्वामीजी, मैंने आपको दो दिनों से सभी को उत्तर देते हुए देखा है, लेकिन आपने पानी की एक बूँद भी नहीं ली है। यह मेरी बहुती पीड़ा में है।" स्वामीजी ने महसूस किया कि भगवान उनके सामने गरीब आदमी के रूप में प्रकट हो रहे हैं, और उन्होंने कहा, "क्या आप मुझे कुछ खाने को देंगे?"
गरीब आदमी एक मोची था और उसने कहा, "मैं तुम्हारे लिए रोटी लाना चाहता हूँ, लेकिन मैं एक नीची जाति का हूँ।" स्वामीजी ने उत्तर दिया, "कोई बात नहीं, आप जो कुछ भी लाएंगे, मुझे खाकर खुशी होगी।" गरीब आदमी को डर था कि तपस्वी को भिक्षा देने के लिए ऊंची जाति के लोग उसे सजा दे सकते हैं, लेकिन वह स्वामी जी की सेवा करना चाहता था। उसने जल्दी से घर चला गया, रोटी लेकर वापस आया, और स्वामी जी को भोजन के लिए प्रस्तुत किया। स्वामी जी ने उस रोटी को खाया और गरीब आदमी को धन्यवाद दिया।
इसी बीच, कुछ उच्च जाति के लोग आए और कहा, "उस भोजन को स्वीकार करना आपके लिए गलत था।" स्वामी जी ने धीरज से उनकी बातें सुनीं और कहा, "आप लोगों ने पिछले दो दिनों से बिना किसी राहत के मुझसे बात की थी, लेकिन आप लोगों ने मुझसे पूछा भी नहीं कि मैंने कोई भोजन और आराम किया है या नहीं। आप दावा कर रहे हैं कि आप सज्जन व्यक्ति हैं, और आप उच्च जाति के हैं। इससे ज्यादा शर्मनाक यह है कि आप इस व्यक्ति की नीच जाति होने की निंदा करते हैं।" सज्जन उनके व्यवहार से लज्जित थे।
नैतिक शिक्षा: हमें किसी भी नीच जाति की निंदा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हम सब भगवान की संतान हैं और सब एक हैं।
निष्कर्ष: बच्चों के लिए class 10 hindi moral stories Moral Stories In Hindi For Class 10 एक शिक्षाप्रद और मनोरंजक तरीके से सिखाने का साधन हो सकते हैं। इन कहानियों से बच्चों को नैतिक मूल्यों, सहानुभूति, और सही दिशा में चलने की क्षमता मिल सकती है। आपकी इस कोशिश से बच्चों को अच्छे संदेश मिलेंगे, जो उनके जीवन में सहारा बन सकते हैं। हमे आशा है कि ये कहानियां उन्हें मनोहर और सीखप्रद लगेंगी। इन कहानियों को सोशल मीडिया पर शेयर करके आप दूसरों को भी इस शिक्षा से जुड़े सुविधा से लाभान्वित कर सकते हैं।
FAQ-Moral Stories In Hindi For Class 10
Q1: कहानी का सार क्या है?
A1: सार यह है कि कहानी में एक सिख होती है जो आपको मोरल या नैतिक शिक्षा प्रदान करती है।
Q2: कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
A2: मुख्य पात्र वह व्यक्ति है जिसके चरित्र में सुधार होता है और जो सीखता है कुछ नया या महत्वपूर्ण।
Q3: कहानी की कथा कहाँ बसी है?
A3: कहानी की कथा एक विशेष स्थान पर आधारित होती है जो कहानी के मूड और संदेश को बढ़ावा देता है।
Q4: इस कहानी से कौन-कौन सी सिखेंगे?
A4: इस कहानी से बच्चे सही-गलत की पहचान करने, सहानुभूति बढ़ाने, और नैतिकता में सुधार करने का सीखेंगे।
Q5: कहानी में कौन-कौन से साधु-संत हैं?
A5: कहानी में साधु-संत वे चरित्र हैं जो सहारा देते हैं और मुख्य पात्र को अपने त्रुटियों से सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।
Conclusion
In the realm of class 10 Hindi moral stories, Moral Stories in Hindi for Class 10, each narrative is a beacon of wisdom, guiding students towards a path of virtue and understanding. Embrace the power of storytelling as a tool for shaping not just academic knowledge but also the character of the next generation.