Hasya Ras ki Paribhasha: हास्य रस की परिभाषा और 10 उदाहरण सहित

इस लेख में हम हास्य रस की परिभाषा (Hasya Ras ki Paribhasha) के साथ-साथ हास्य रस के कुछ आसान उदाहरण का भी अध्धयन करेंगे। बोर्ड औए प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिकतर बार हास्य रस से सम्बंधित प्रश्न अधिक पूछे जाते हैं। तो चलिए विस्तार से हास्य रस की परिभाषा (Hasya Ras ki Paribhasha) और कुछ आसान उदाहरण के बारे में जानते हैं।

Hasya Ras ki Paribhasha: हास्य रस की परिभाषा और 10 उदाहरण सहित

हास्य रस की परिभाषा (Hasya Ras ki Paribhasha)

किसी व्यक्ति या वस्तु की असाधारण वेशभूषा, आकृति, वाणी तथा चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो आनंद (विनोद) का भाव जाग्रत होता है, उसे ही हास कहा जाता है। यही हास जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको हास्य रस की परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में पूरी जानकारी बता रहे हैं | तो चलिए जानते हैं हास्य रस की परिभाषा (Hasya Ras Ki Paribhasha), उपकरण एवं उदाहरण (hasya ras ka udaharan) सहित। आप रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण का ये लेख एक बार जरुर पढ़ें|

हास्य रस के दो प्रकार हैं


1.आत्मस्थ हास्य रस
2.परस्थ हास्य रस

आत्मस्थ हास्य रस

जब किसी व्यक्ति या विषय की विचित्र वेशभूषा, वाणी, आकृति तथा चेष्टा आदि को देखने मात्र से जो हास्य उत्पन्न होता है उसे आत्मस्थ हास्य रस कहते हैं।

परस्थ हास्य रस

जब किसी व्यक्ति या विषय की विचित्र वेशभूषा, वाणी, आकृति तथा चेष्टा आदि को देखकर जब कोई हँसता है, तो उस हँसते हुए व्यक्ति को देखकर जो हास्य प्रकट होता है उसे परस्थ हास्य रस कहते है।

हास रस की परिभाषा (Hasya Ras Ki Paribhasha)

काव्य में किसी की विचित्र वेश – भूषा, आकृति, चेष्टा आदि हँसी उत्पन्न करने कार्यो का वर्णन हास रस कहलाता है | तथा यही हास जब विभाव अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट हो जाता है तो उसे हास रस कहा जाता है। हास रस का स्थायी भाव हास्य होता है।

हास रस के उपकरण


रस का नाम

हास्य रस

स्थायी भाव

हास

आलम्बन विभाव

विकृत वेशभूषा, आकर एवं चेष्टाएँ

उद्दीपन विभाव

आलम्बन की अनोखी आकृति, बातचीत, चेष्टाएँ आदि

अनुभाव

आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना एवं अट्टहास

संचारी भाव

हर्ष, आलस्य, निद्रा, चपलता, कम्पन, उत्सुकता आदि























हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित


उदाहरण - 1

मुरली में मोहन बसे, गाजर में गणेश।
कृष्ण करेला में बसे, रक्षा करे महेश।।

उदाहरण - 2

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घण्टा भर आलाप।
घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे – धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।

उदाहरण - 3

सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै,
हास की को दंगा भयो, नंगा के विवाह में।

उदाहरण - 4

हँसी – हँसी भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में।

उदाहरण - 5

सर मूसर नाचत नगन, लाखि हलधर को स्वांग।
हँसि हँसि गोपी फिर हँसे, मनहु पिये सी भाँग।।

हास्य रस के उदाहरण एवं स्पष्टीकरण - हास्य रस की परिभाषा उदाहरण


उदाहरण – 1


सखि। बात सुनों इक मोहन की,
निकसी मटुकी सिर रीती ले कै।
पुनि बाँधि लयो सु नये नतना,
रु कहूँ-कहुँ बुन्द करीं छल कै॥
निकसी उहि गैल हुते जहाँ मोहन,
लीनी उतारि तबै चल कै।
पतुकी धरि स्याय खिसाय रहे,
उत ग्वारि हँसी मुख आँचल कै।।

स्पष्टीकरण – रस—हास्य। स्थायी भाव—हास। आश्रय-गोपी। आलम्बन – कृष्ण। उद्दीपन-कृष्ण का खिसियाना। अनुभाव-मुख पर आँचल करना, हँसना। संचारी भाव चपलता, हर्ष (आक्षिप्त या अध्याहत)। अतः यहाँ पर हास्य रस है।

उदाहरण – 2


तेहि समाज बैठे मुनि जाई। हृदय रूप-अहमिति अधिकाई।।
तहँ बैठे महेस-गन दोऊ। विप्र-बेस गति लखइ न कोऊ।।
सखी संग दै कुँवर तब चलि जनु राज-मराल।
देखत फिरइ महीप सब कर सरोज जय-माल।।
जेहि दिसि नारद बैठे फूली। सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं। देखि दसा हर-गन मुसकाहीं।।

स्पष्टीकरण – रस – हास्य। स्थायी भाव-हास। आश्रय-हर-गण। आलम्बन – नारद। उद्दीपन-नारद का बन्दर का रूप, उनका फूलकर बैठना, उनका बार-बार उकसाना। अनुभाव-मुसकाना। संचारी भाव-चपलता आदि (ऊपर से आक्षेप करना होगा)। अतः यहाँ हास्य रस है।

उदाहरण – 3


नाना वाहन नाना वेषा। बिंहसे सिव समाज निज देखा।।
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू। बिनु पद-कर कोउ बहु पद-बाहु।।

स्पष्टीकरण – शिव-विवाह के समय की ये पेंक्तियाँ हास्यमय उक्ति हैं। इस उदाहरण में स्थायी भाव ‘हास’ का आलम्बन शिव-समाज है, आश्रय शिव स्वयं हैं, उद्दीपन विचित्र वेशभूषा है, अनुभाव शिवजी का हँसना है तथा रोमांच, हर्ष, चापल्य आदि संचारी भाव हैं। इनसे पुष्ट हुआ हास नामक स्थायी भाव हास्य रस की अवस्था को प्राप्त हुआ है।

FAQ-Hasya Ras ki Paribhasha: हास्य रस की परिभाषा


Q1: हास्य रस का क्या मतलब है?

A1: हास्य रस का मतलब होता है किसी चीज़ से हंसी उत्पन्न होना। यह रस मनोरंजन और हंसी की भावना को जगाता है।

Q2: रस की परिभाषा क्या होती है?

A2: रस की परिभाषा होती है उस भावनात्मक अनुभव का वर्णन जो किसी वस्तु या घटना से उत्पन्न होता है।

Q3: हास्य रस के अनुभव क्या है?

A3: हास्य रस के अनुभव में मनोरंजन, मस्ती, और हंसी की भावना होती है। यह लोगों को खुश और संतुष्ट करता है।

Q4: हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?

A4: हास्य रस का स्थायी भाव होता है व्यक्ति को हंसी और आनंद में ले जाना। यह भावना लंबे समय तक स्थिर रहती है।

Q5: हास्य रस कितने प्रकार के होते है?

A5: हास्य रस के छः प्रकार होते हैं: वात्सल्य, हास्य, शांत, भयानक, बीभत्स, और रौद्र।

Q6: 10 रस का नाम क्या है?

A6: दास रस, वात्सल्य रस, शांत रस, हास्य रस, भक्ति रस, वीर रस, अद्भुत रस, शांत रस, भयानक रस, रौद्र रस।

निष्कर्ष

Hasya Ras ki Paribhasha: हास्य रस की परिभाषा लेख से स्पष्ट होता है कि जहाँ हास्य की स्थिति होती है, वहां पर हास्य रस होता है। इसका स्थाई भाव हास है। फूहड़ हंसी-मजाक के द्वारा उत्पन्न हास्य को साहित्य में मान्यता नहीं दी गई है। अतः हास्य रस वह है जिससे कुछ भावनाएं जागृत होती हो तथा कोई संदेश प्राप्त होता है।
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