कड़ी मेहनत का महत्व | Story On Hard Work In Hindi | Importance of Hard Work

कड़ी मेहनत का महत्व  Story On Hard Work In Hindi एक मज़ेदार कहानी: "विजयनगर के आलसी"  कभी सुना है कि कोई इंसान इतना आलसी हो कि सोते-सोते भी थक जाए? अगर नहीं सुना, तो ज़रा विजयनगर के इन लोगों से मिलिए। यहां के कुछ लोग इतने आलसी थे कि काम का नाम सुनते ही उबासी आ जाती थी!

कड़ी मेहनत का महत्व | Story On Hard Work In Hindi | Importance of Hard Work
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आलसी संगठन की स्थापना - Story On Hard Work In Hindi

विजयनगर में आलसी लोगों का एक संगठन बना हुआ था। हां, हां! आप सही सुन रहे हैं संगठन! इसका काम थाकोई काम ना करना।
इनका एक ही नियम था "आराम ही जीवन है!"
बातें करना, गप्पें उड़ाना, और दूसरों को काम करता देखना यही इनकी दिनचर्या थी। अब घर के सारे काम, जैसे पानी लाना, झाड़ू लगाना, सब्जी लाना, बिचारी औरतों को ही करना पड़ता था।

कावेरी, गाँव की एक समझदार महिला, अपने पति ब्रिज से परेशान थी। वो बोले बिना ही नहीं उठते, और उठने के बाद भी कुछ ना करें तो ही बेहतर।

महाराज से शिकायत की योजना

जब औरतों का सब्र का घड़ा छलक गया, तो उन्होंने मिलकर महाराज विद्याधर को एक चिट्ठी लिख डाली शिकायतों की पूरी सूची के साथ।

पर चिट्ठी गई, जवाब नहीं आया।
किसी को ना सिपाही दिखा, ना संदेशवाहक।

इधर आलसी संगठन में मीटिंग चल रही थी — "आज की सभा में किसने सबसे ज़्यादा आराम किया?"
और तभी, आया एक अनजान मुसाफिर!
उसका कहना था कि वो महाराज से मिलना चाहता है। अब विजयनगर के लोग भला कैसे पीछे रहते?

"हम तो महाराज को जन्म से पहले से जानते हैं!"
"
मैं तो पैदा होते ही हाथी पर बैठकर महल पहुंच गया था!"
"
जब मैं एक महीने का था, तो उड़कर राजमहल पहुंचा था!"

इतनी झूठी बातें कि खुद झूठ भी शर्मा जाए!
बेचारा मुसाफिर मुस्कुरा कर सब सुनता रहा।
और फिर उसने ऐसा पलटा मारा कि सबके होश उड़ गए।

असली चाल का खुलासा

उसने कहा, "मुझे महाराज ने भेजा है।
राजमहल का दरवाजा टूट गया है,
और तुम चारों जैसे 'अद्भुत शक्तियों' वाले लोगों को
काम पर रखा गया था मगर तुम सोना लेकर भाग गए!"

अब क्या था!
आलसी संगठन में अफरा-तफरी मच गई।
सभी कहने लगे, "हम तो आम इंसान हैं, हमें माफ कर दो!"

मुसाफिर जो असल में महाराज के महामंत्री सारंगा थे मुस्कुराए और बोले,
"
ठीक है, माफ किया।
लेकिन अबसे एक वादा करना होगा
आराम छोड़ो, काम पकड़ो!"

फिर क्या हुआ?

विजयनगर का माहौल ही बदल गया।
अब सब काम करने लगे,
ब्रिज खुद उठकर पानी लाने लगे,
और आराम ही जीवन है की जगह मेहनत में ही सफलता है का नारा बनने लगा।

सीख क्या मिली?

  • काम से भागो मत, काम से लगाव रखो।
  • मेहनत करने से इंसान छोटा नहीं, बड़ा बनता है।
  • और सबसे जरूरी जो जितना आराम करता है, वो उतना ही पीछे रह जाता है।

तो अगली बार जब मन करे कि "अरे बाद में कर लेंगे…"
तो बस याद करना विजयनगर वालों की कहानी!

कड़ी मेहनत ही असली जादू है, आराम तो बस नींद का बहाना है!

अगर आपको ये कहानी मज़ेदार लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ भी शेयर कीजिए। क्या पता कोई और "ब्रिज भैया" सुधर जाए!

 

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